उज्जैन: जब तोमर परिवार को यह सूचना मिली की उनका बेटा अरविंद सिंह तोमर छुट्टियों पर आने वाला है तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा.हालांकि तोमर परिवार की खुशियां ज्यादा वक्त तक कायम नहीं रहीं. साल 2001 में अरविंद सिंह तोमर आतंकियों से लोहा लेते हुए जम्मू कश्मीर के सुंदरवन इलाके में शहीद हो गए. 

अरविंद सिंह तोमर की कहानी

उज्जैन के गणेश नगर इलाके में रहने वाले सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी शमशेर सिंह तोमर के घर 5 नवंबर 1966 को अरविंद सिंह तोमर का जन्म हुआ था.अरविंद सिंह तोमर शुरू से ही देश भक्ति से प्रेरित थे.अरविंद सिंह तोमर हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास करने के बाद सेना में शामिल हो गए थे. आर्ममोरर के पद पर पदस्थ नायक अरविंद सिंह तोमर 15 साल की सर्विस पूर्ण कर चुके थे.उनके अच्छे कार्य को देखते हुए उनकी 3 साल की सर्विस बढ़ा दी गई थी. उन्होंने 30 नवंबर 2001 को आखिरी बार अपने परिवार वालों से बात हुई थी.

शहीद अरविंद सिंह तोमर के पिता बताते हैं कि अरविंद सिंह तोमर ने उन्हें 30 नवंबर को फोन करके बताया था कि वे छुट्टी पर आने वाले हैं.इस बात की जानकारी परिवार के लोगों को जैसे ही लगी वे काफी खुश हो गए.अरविंद सिंह तोमर ने अपनी पत्नी राका लक्ष्मी तोमर से भी बात की थी.इसके अलावा मां मुन्नी बाई तोमर की तबीयत भी पूछी थी. इसके बाद अगले ही दिन 1 दिसंबर 2001 को सुंदरवन इलाके में अरविंद सिंह तोमर को आतंकियों ने घेर लिया.आतंकियों से लोहा लेते समय अरविंद सिंह तोमर शहीद हो गए.इस बात की जानकारी जैसे ही परिवार के लोगों को लगी उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

बेटे को भी सेना में भेजना चाहती है मां

भारत मां की रक्षा के लिए शहीद हुए अरविंद सिंह तोमर की पत्नी राका लक्ष्मी तोमर चाहती हैं कि उनका बेटा आदर्श तोमर भी सेना में जाए और अपने पिता की तरह बहादुरी से देश की सेवा करे.आदर्श फिलहाल अपने परिवार का व्यवसाय संभाल रहे हैं. इसके अलावा पढ़ाई भी कर रहे हैं.आदर्श ने बताया कि जब उनके पिता शहीद हुए थे तब उनकी उम्र महज 2 साल थी.उन्होंने पिता की पूरी तरह सूरत भी नहीं देखी थी. आदर्श तोमर आज भी इस बात को लेकर गर्व करते हैं कि उनके पिता ने भारत माता के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया था. 

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