Madhya Pradesh News: मैनिट पीएचडी स्कॉलर्स ने सोमवार से देशव्यापी शोधार्थी उद्घोष महाआंदोलन की शुरुआत की है. इस आंदोलन की मुख्य वजह कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद मैनिट प्रशासन द्वारा पीएचडी स्कॉलर्स को एससीआई, एससीआईई रिसर्च जर्नल में क्यू 1, क्यू 2 क्लास के रिसर्च पेपर्स प्रकाशित करने पर ही तीन साल बाद फेलोशिप दी जाएगी वरना फैलोशिप रोक ली जाएगी है, जबकि भारत सरकार द्वारा पीएचडी स्कॉलर्स को पूरे पांच साल तक फेलोशिप दी जाती है. वहीं मैनिट रिसर्च स्कॉलर और भारतीय जनता पार्टी झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ मध्य प्रदेश के कार्यालय प्रभारी राजकुमार मालवीय का कहना है कि देशभर में मैनिट ही एकमात्र ऐसा अनोखा संस्थान है, जहां तीन साल बाद फेलोशिप रोक दी जाती है. साथ ही कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद ही कड़े और सख्त नियम रिसर्च स्कॉलर्स पर थोप दिए गए हैं. जबकि संपूर्ण विश्व में कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद कई रियायतें शैक्षणिक क्षेत्र में लागू की जानी चाहिए थी. इसके साथ ही स्कॉलर्स यह भी मांग कर रहे हैं कि एमटेक और पीएचडी रिसर्च स्कॉलर्स की फेलोशिप में 62 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए.वहीं एक रिसर्च स्कॉलर इलेक्ट्रिकल विभाग के तन्मय शुक्ला लगातार दो हफ्तों से आमरण अनशन कर रहे हैं, उनकी मांग है कि सुपरवाइजर बदल दिया जाए. सुपरवाइजर ने उनके रिसर्च पेपर्स को अपने नाम और अपने दोस्तों के नाम से छपवाने का प्रयास किया जिससे उनका बौद्धिक शोषण हुआ है. कई रिसर्च स्कॉलर्स की फेलोशिप और एचआरए रोक लिया गया है, रिसर्च स्कॉलर्स इसके एरियर की भी मांग कर रहे हैं. मैनिट में कई सुपरवाइजर्स का हाल यह है कि उनके खुद के नाम से फस्र्ट ऑथर के एससीआई, एससीआईई रिसर्च पेपर्स है ही नहीं और पीएचडी कैंडिडेट लेने के लिए सुपरवाइजर्स के स्कोपस रिसर्च जर्नल में पेपर पब्लिश होने चाहिए.
रिसर्च स्कॉलर्स ने प्रशासन पर लगाए ये आरोपपीएचडी ऑर्डिनेंस के हिसाब से कई सुपरवाइजर्स पीएचडी कैंडिडेट लेने के लिए पात्र ही नहीं है. वहीं एक ओर रिसर्च स्कॉलर्स से एससीआई-एससीआईई क्यू1, क्यू2 क्लास के रिसर्च पेपर प्रकाशित करने की बाध्यता मैनिट प्रशासन द्वारा की गई है. कोविड-19 के संकट से उबरने के बाद कई स्कॉलर्स के 5 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं जिन्हें पीएचडी की डिग्री अवार्ड कर दी जानी चाहिए ऐसी भी मांग रिसर्च स्कॉलर्स कर रहे हैं. भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों में एससी, एसटी, दिव्यांग रिसर्च स्कॉलर्स से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है, जबकि मैनिट प्रबंधन इन पीएचडी स्कॉलर्स से ट्यूशन फीस ले रहा है. मैनिट एक रिसर्च संस्थान है जहां 24 घंटे रिसर्च स्कॉलर्स रिसर्च का कार्य करते हैं. ऐसे में बायोमैट्रिक अटेंडेंस लागू करना उन पर मानसिक दबाव बना रहा है. मैनिट प्रशासन की तानाशाही इतनी है कि मनचाहा नियम मध्य सत्र में रिसर्च स्कॉलर्स पर थोप दिया जाता है. रिसर्च स्कॉलर्स से घरेलू और व्यक्तिगत कार्य कराए जाते हैं.
मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी हड़ताललोकतांत्रिक देश में अपनी आवाज उठाने का प्रत्येक नागरिक को अधिकार है. आंदोलन में शामिल होने पर यहां रिसर्च स्कॉलर्स को डराया धमकाया जा रहा है. हद तो यहां तक हो गई कि रिसर्च स्कॉलर्स के पास दूसरे राज्यों से जान से मारने की धमकी तक आ रही है. ऐसी परिस्थिति में रिसर्च स्कॉलर्स ने मांग की है कि हमारी और हमारे लीडर की जान को खतरा देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की जाए. कुछ पीएचडी स्कॉलर्स की फेलोशिप रोकने के लिए उन्हें एसआरपीसी कमेटी द्वारा असंतोषजनक लिख दिया गया है. पीएचडी स्कॉलर्स का कहना है कि जब तक लिखित में हमारी मांगे पूरी मान नहीं ली जाती, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रहेगी.