Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के कूनो अभ्यारण (Kuno National Park) में नामीबिया से आये चीते अगर किसी गंभीर बीमारी का शिकार होते हैं तो उनके हाईटेक इलाज की व्यवस्था भोपाल के साथ जबलपुर शहर में भी होगी. दरअसल, जबलपुर के नानाजी देशमुख वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी में इसके लिए सीटी स्कैन मशीन लगाई जा रही है. प्रदेश में लगाई जाने वाली यह दूसरी मशीन है. पहली मशीन भोपाल में लगी है.
इस यूनिवर्सिटी में लगी मशीनअब बीमार या घायल टाइगर, चीतों और गौ वंश के साथ अन्य वन्यजीवों का सीटी स्कैन जबलपुर के वेटनरी कॉलेज में भी हो सकेगा. नानाजी देशमुख वेटनरी साइंस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत प्रदेश में लगाई जाने वाले यह दूसरी मशीन होगी. इस सुविधा के लिए वेटनरी कॉलेज के सिविल लाइन स्थित हॉस्पिटल में अत्याधुनिक तकनीकों से लैस मशीन आ चुकी है. इस सुविधा को जल्द से जल्द शुरू किए जाने को लेकर वेटनरी यूनिवर्सिटी प्रशासन तैयारी में जुटा हुआ है.
इसी महीने के अंत तक शुरू होगी मशीनबताया जा रहा है कि नवंबर महीने के अंत तक इस मशीन से पीड़ित पशुओं की सीटी स्कैन की सुविधा शुरू कर दी जाएगी. इसके लिए मशीन का पहले डेमो होगा. गौरतलब है कि प्रदेश में पशुओं की जांच के लिए पहली और एक मात्र सीटी स्कैन मशीन अभी तक भोपाल के जहांगीराबाद स्थित पशुपालन विभाग के अंतर्गत वेटनरी हॉस्पिटल में लगी है.
भोपाल के बाद दूसरी मशीनवेटरनरी हॉस्पिटल की प्रो. डॉ. अपरा शाही के मुताबिक प्रोजेक्ट के तहत हॉस्पिटल में आई इस हाईटेक मशीन की लागत करीब दो करोड़ रुपये है. इसके लिए हॉस्पिटल में अलग से स्पेशल कक्ष बनाया गया है. मशीन के इंस्टालेशन का काम भी जल्द शुरू कर दिया जाएगा. हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. रणवीर सिंह जाटव ने बताया कि मशीन आ चुकी है और यह अत्याधुनिक तकनीक से लैस जबलपुर से लगे हुए टाइगर रिजर्व से घायल और बीमार वन्यजीवों के साथ गौ वंश व अन्य जानवरों की सीटी स्कैन जांच से बीमारियों के बारे में बेहतर तरीके से जानकारी मिल सकेगी.इसके लिए तैयारियां लगभग अंतिम चरण में चल रही हैं.
शासन से मिला सहयोगइस सबंध में कलपति प्रो. डॉ. एसपी तिवारी ने बताया कि हॉस्पिटल में सीटी स्कैन मशीन से जांच की सुविधा के लिए मशीन आ चुकी है. इसे शुरू किए जाने के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं. जल्द ही बीमार वन्यजीवों के लिए सीटी स्कैन की सुविधा हम देने लगेंगे. विश्वविद्यालय वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में लगातार काम कर रहा है. यह मशीन विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में शासन के सहयोग से प्राप्त हुई है.
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