MP News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से कम का वक्त बचा है. यही कारण है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पूरी तरह चुनावी मोड में आ गए हैं. दोनों ही दल एक-दूसरे पर हमलावर हैं. अभी हाल में हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी इसकी झलक देखने को मिली.

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस को उम्मीदों के पर लगे हैं. इसकी वजह वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव हैं. यह ऐसा चुनाव था जिसमें कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद न केवल बढ़त मिली थी बल्कि सत्ता भी हासिल हुई थी, वहीं बीजेपी डेढ़ दशक तक सत्ता में रहने के बाद बहुत कम अंतर से कांग्रेस से पीछे रह गई थी.

15 महीने में ही गिर गई थी सरकारयह बात अलग है कि महज 15 माह बाद कांग्रेस में टूट हुई और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके चलते बीजेपी फिर सत्ता में लौट आई. पिछले चुनाव के नतीजों से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही सीख ली है. यही कारण है कि वे अगले चुनाव में किसी भी तरह की चूक को दोहराने को तैयार नहीं है. साथ ही उनकी कोशिश है कि जीत का फासला इतना बड़ा हो कि सरकार बनाने में किसी भी तरह की बाधा न आए.

40 विधायकों को रिपोर्ट नेगेटिवपहले हम बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी की, जिसके पिछले चुनाव में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 109 सदस्य पहुंचे थे. यही कारण है कि बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है. पार्टी ने अंदरूनी तौर पर जो सर्वे कराया है उसमें 40 से ज्यादा विधायकों की रिपोर्ट नकारात्मक आई है, तो वहीं शुक्रवार को पार्टी पदाधिकारियों और मंत्रियों की बैठक में आगामी रणनीति भी तय की गई है, जिसके मुताबिक प्रभारी मंत्रियों और संगठन से जुड़े लोगों को जिले स्तर पर तैनात किए जाने का फैसला हुआ है.

बीजेपी हुई एक्टिवपार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार सरकार और संगठन में कसावट लाने में पूरा जोर लगाए हुए हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि मंत्रियों की संगठनात्मक बैठक हुई जिसमें प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने सभी मंत्रियों को प्रभाव वाले जिले में जाकर नई ऊर्जा के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं.

कांग्रेस भी तैयारियों में जुटीवहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी अगले चुनाव को लेकर गंभीर है और पूरी कमान प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ संभाले हुए हैं. वे खुद लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं और जमीनी स्तर की रिपोर्ट भी तलब करने में लगे है. कमलनाथ उन जिलों के जिला अध्यक्षों को भी बदलने वाले हैं जिनकी कार्यशैली पार्टी के अनुरूप नहीं है और संगठन प्रमुख संतुष्ट नहीं है, वहीं संगठन में बड़े बदलाव करने वाले हैं.

ये भी पढ़ें

MP Assembly Session: विधानसभा सत्र में पहली बार मालवा का दबदबा, विधायक जीतू पटवारी ने बीजेपी पर लगाई आरोपों की झड़ी