MP Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 के पहले वादों पर राजनीति हो रही है. जहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 'वादा निभाओ पदयात्रा' निकल रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी को भरोसा है कि 'मोदी की गारंटी' पर ही जनता को विश्वास है. इन सब के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेजी से चल पड़ा है. इन दिनों मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी कांग्रेस को वादे याद दिला रही है, जबकि कांग्रेस वादा निभाओ पदयात्रा निकालकर भारतीय जनता पार्टी को कटघरे में खड़ा कर रही है. 

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के पहले लाडली बहनों को तीन हजार रुपये प्रति महीने देने का वादा किया था. इसके अलावा किसानों को 2700 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीदी का वादा भी किया गया था. इन सभी वादों को लेकर कांग्रेस बीजेपी को घेर रही है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और वह वादा निभाओ पदयात्रा निकाल रहे हैं.

दूसरी तरफ कांग्रेस के हर राजनीतिक मंच पर प्रदेश की महिलाओं को 8500 रुपए प्रतिमाह दिए जाने के वादे किए जा रहे हैं. कांग्रेस को लेकर मुख्यमंत्री. डॉ मोहन यादव पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव को लेकर गंभीर नहीं है. कांग्रेस को अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी करना चाहिए.

कांग्रेस पर कोई विश्वास नहीं- बीजेपीबीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल के मुताबिक कांग्रेस पहले ही डिफाल्टर हो चुकी है. डिफाल्टर कांग्रेस के वादों पर जनता को कोई भरोसा नहीं है जनता केवल मोदी की गारंटी चाहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर इस बार फिर जनता बटन दबाने वाली है और मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर बीजेपी विजय होगी. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल से साढ़े तीन लाख वोटों से हारे थे. अब राजगढ़ में भी उनकी हार का रिकॉर्ड बनेगा. मध्य प्रदेश की जनता ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और मंत्री जीतू पटवारी का कार्यकाल देख रखा है. 

किसान और महिलाओं के मुद्दों पर चुनाव फोकस मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव भी किसान और महिलाओं के मुद्दों पर फोकस हो गया है. कांग्रेस के मंच से कभी-कभी बेरोजगारी की बात भी उठती है. मगर मध्य प्रदेश में कई ऐसी समस्याएं है जिन पर दोनों राजनीतिक दलों का ध्यान नहीं दिखाई दे रहा है.

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