HIV/AIDS Case in MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक चिंता बढ़ाने वाली ख़बर सामने आई है. दरअसल प्रदेश में संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल से एचआईवी रोगियों की संख्या बढ़ रही है. देश में संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एड्स की चपेट में आने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश छठे नंबर पर है. राज्य में पिछले 10 सालों में संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल से 1,768 लोगों को एड्स हुआ है. 2020-21 में मध्य प्रदेश में सुई के जरिए कम से कम एक व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हुआ था.

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जानकारों का कहना है कि सूई के इस्तेमाल से नशीले पदार्थों का सेवन करना इसके फैलने का एक प्रमुख कारण है. नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के एक आरटीआई का जवाब देते हुए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) ने कहा है कि 2011-12 और 2020-21 के बीच देश में 45,864 एचआईवी संक्रमण के मामले संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल के कारण दर्ज हुए हैं. इस मामले में पंजाब सबसे ऊपर है, जहां 15,924 एड्स के मरीज मिले हैं.

इन राज्यों में मिले एचआईवी के इतने केस

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इसके बाद पिछले 10 सालों के दौरान दिल्ली में 5,841, उत्तर प्रदेश में 5,569, मिजोरम में 4,906, मणिपुर में 2,594, मध्यप्रदेश में 1,768, हरियाणा में 1,062, महाराष्ट्र में 916, छत्तीसगढ़ में 874, कर्नाटक में 586, पश्चिम बंगाल में 566, गुजरात में 554, त्रिपुरा में 537, राजस्थान में 501, उत्तराखंड में 491, असम में 467, नागालैंड में 465, चंडीगढ़ में 407, आंध्र प्रदेश में 379, बिहार में 340, ओड़िशा में 279, तमिलनाडु में 227, मेघालय में 206, केरल में 151, तेलंगाना में 87, हिमाचल प्रदेश में 56, झारखंड में 44, जम्मू-कश्मीर में 37, गोवा में 15, अरुणाचल प्रदेश में 8, सिक्किम में 3 और दमन और दीव एवं पुडुचेरी में 2-2 लोग संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एड्स की चपेट में आए हैं.

8,000 लोगों की हुई पहचान

विशेषज्ञों का कहना है कि सुइयों से संक्रमण सबसे तेजी से फैलता है. मध्य प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के परियोजना निदेशक के डी त्रिपाठी ने बताया कि संक्रमण फैलने की दर उन मामलों में सबसे अधिक है, जहां संक्रमित सीरिंज का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसे सीधे लोगों के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. इसका एक प्रमुख कारण नशीले पदार्थों के आदी लोग हैं, जो उन्हें इंजेक्शन लगाते हैं. उन्होंने बताया कि स्वयंसेवी संगठनों की मदद से मध्य प्रदेश में लगभग 8,000 लोगों की पहचान की है, जो नशीले पदार्थों का इंजेक्शन लगाते हैं और इसके आदी हैं.

हर साल एचआईवी के मिलते हैं लगभग 4,000 मामले

के डी त्रिपाठी ने बताया कि समाज ऐसे लोगों के लिए 20 केंद्र चलाता है, जिनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें नशामुक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करने का काम किया जाता है. उन्होंने कहा कि राज्य में हर साल करीब 4,000 एचआईवी संक्रमण का पता चलता है. वहीं आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ का कहना है कि ये आंकड़े डरावने हैं और प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.

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