Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं किए जाने को चुनौती दी गई है. मामला उच्च माध्यमिक (HIGH SCHOOL) शिक्षक चयन-प्रक्रिया से संबंधित है. याचिका में आरक्षण नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. मामले पर बुधवार (28 फरवरी) को जस्टिस शील नागू व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई.


दमोह निवासी निकिता सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता ब्रहमेन्द्र पाठक, रौना पाठक, शिवेश अग्निहोत्री, राममिलन साकेत व आतिश कुमार यादव ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं करके उन्हीं के प्रवर्ग में रोका जा रहा है. दरअसल, मप्र व्यावसायिक परीश्वा मंडल द्वारा 28 अगस्त, 2018 को विस्तृत नियमावलि व नियम-पुस्तिका जारी कर शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था.


उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति की पात्रता रखने वाले अभ्यर्थियों ने आवेदन प्रस्तुत कर पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की थी. यह पात्रता परीक्षा व चयन प्रक्रिया शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व मप्र शिक्षक चयन नियम 2018 के अनुरूप किया जाना था.


शिक्षक पात्रता उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की मेरिट अनुसार अंतिम चयन सूची प्रकाशित की गई थी. जिसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग और आदिवासी विकास विभाग द्वारा अपनी रिक्तियों के अनुसार मेरिट के क्रम में अभ्यर्थियों का चयन कर उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर पदस्थापना की जानी थी. पात्रता परीक्षा की नियमावली और शिक्षक भर्ती नियम 2018 के अनुसार दोनों विभागों द्वारा एकीकृत चयन सूची से ही अभ्यर्थियों का चयन कर नियुक्ति-पत्र दिया जाना था. किंतु दोनों विभागों द्वारा अपनी अलग-अलग सूची बनाई गई जिसमें कतिपय अभ्यर्थियों के नाम दोनों सूची में पाए जाने से अन्य योग्य एवं पात्र अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका. 


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