MP News Today: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की लांजी सीट से पूर्व विधायक किशोर समरीते को हाईकोर्ट से झटका लगा है. हाईकोर्ट ने किशोर समरीते और अन्य के खिलाफ एसडीएम से मारपीट और सरकारी वाहन में आग लगाने के मामले में अधीनस्थ अदालत से मिली सजा को बरकरार रखा है.
इस मामले अपीलार्थियों के खिलाफ एससी-एसटी अधिनियम के मामले में मिली सजा को निरस्त कर दिया. जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने किशोर समरीते सहित अन्य अपीलार्थियों को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं.
दोषियों को इस मामले में मिली है सजाये सभी दोषी फिलहाल जमानत पर हैं. प्रकरण के अनुसार 19 अप्रैल 2004 को समरीते सहित 6 अन्य ने अतिक्रमण की कार्रवाई का विरोध करते हुए एसडीएम लांजी धनेश्वर साई के कोर्ट रूम में पहुंचे और उनसे अभद्रता करने लगे.
अभियुक्त गणों ने लाठी से एसडीएम पर हमला भी किया. इसके बाद सभी ने बाहर आकर शासकीय जीप में आग लगा दी. इस मामले में लांजी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
बालाघाट के विशेष न्यायाधीश ने 22 दिसंबर 2009 को आईपीसी की धारा 435, 332, 427 और 147 के तहत किशोर समरीते सहित अन्य को 5 साल के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी.
वहीं एससी-एसटी अधिनियम के तहत कोर्ट ने सभी को तीन साल की कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी. सजा के खिलाफ समरीते सहित 6 अन्य आरोपियों ने 2010 में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.
राजनीतिक दबाव में किया गया तबादला निरस्तमध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने राजनीतिक दबाव में किए गए स्थानांतरण को निरस्त कर दिया है. हाई कोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, छतरपुर में पदस्थ सहायक ग्रेड जितेंद्र गौड़ को राहत दी है.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे और राकेश शुक्ला ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि याचिकाकर्ता जिला कर्मचारी संघ का सचिव भी है. राजनीतिक द्वेष के चलते उसके विरुद्ध फर्जी शिकायतें की गईं. जिसके आधार पर संभागायुक्त ने 31 जुलाई 2023 को छतरपुर से अन्यत्र स्थानांतरण का आदेश दिया था.
तबादले के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौतीइसी आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 10 अगस्त 2023 को नवगांव स्थानांतरण कर दिया. जिसके विरुद्ध याचिका दायर की गई है. दलील दी गई कि शिकायत के आधार पर होने वाला स्थानांतरण सजा रूप होता है. लिहाजा, विधिवत जांच होनी चाहिए.
साथ ही सुनवाई का समुचित अवसर भी दिया जाना चाहिए. लेकिन शासन की ओर से महज यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध जांच चल रही थी, इसलिए स्थानांतरण किया गया. यह तर्क भी दिया गया कि 10 अगस्त 2023 के स्थानांतरण आदेश में जांच का बिंदु नहीं जुड़ा है.
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