Madhya Pradesh Government Employees: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 8 साल बाद पदोन्नति का तोहफा दिया है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी उपलब्धि बताकर वाहवाही लूटने की कोशिश में जुटी है, लेकिन यह न तो कोई उपलब्धि है और न ही सरकार की संवेदनशीलता का परिचायक. यह उसकी कर्मचारी विरोधी नीतियों और लंबे समय तक चली आ रही उपेक्षा का नतीजा है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीजेपी सरकार पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि यह सरकार कर्मचारियों के हक को कुचलने की दोषी है और अब सस्ती लोकप्रियता के लिए नाटक कर रही है.
'8 साल की उपेक्षा और एक लाख कर्मचारियों का दर्द'जीतू पटवारी ने कहा, "2016 से 2025 तक का समय मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक काला अध्याय रहा है. इस दौरान एक लाख से अधिक कर्मचारी बिना पदोन्नति के रिटायर हो गए. उनकी मेहनत, उनका समर्पण और उनके परिवारों की उम्मीदों को बीजेपी सरकार ने कुचल दिया. इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव की है."
शिवराज सिंह चौहान पर बोला हमला जीतू पटवारी ने आगे कहा, "2016 में हाई कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त किया था, जिसके खिलाफ शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट गई. सच यह है कि कोर्ट ने कभी भी पदोन्नति पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश नहीं दिया था. फिर भी शिवराज सरकार ने इसे बहाना बनाकर कर्मचारियों के हक को दबा दिया."
जान बूझकर कर्मचारियों को रखा वंचित- कांग्रेसकांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा में भी अपने कर्मचारियों की पदोन्नति जारी रखी, लेकिन मध्य प्रदेश में बीजेपी ने जानबूझकर कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित किया."
'कांग्रेस की पहल को कुचलने की साजिश'पटवारी ने आगे कहा, "2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्मचारियों की इस पीड़ा को समझा और पदोन्नति के लिए तुरंत कदम उठाया. उन्होंने इस मुद्दे को प्राथमिकता दी और तीन मंत्रियों-डॉ. गोविंद सिंह, पी.सी. शर्मा और बाला बच्चन की एक कमेटी बनाई, ताकि कर्मचारियों को उनका हक जल्द से जल्द मिल सके. यह एक उम्मीद की किरण थी, जो कर्मचारियों के जीवन में बदलाव लाने वाली थी. लेकिन बीजेपी ने अपनी सत्ता की भूख में इस उम्मीद को कुचल दिया. विधायकों की खरीद-फरोख्त कर कांग्रेस की जनता द्वारा चुनी गई सरकार को गिरा दिया गया. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने चोरी की सरकार बनाई और पदोन्नति के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. यह न सिर्फ कर्मचारियों के साथ विश्वासघात था, बल्कि लोकतंत्र का भी गला घोंटने वाला कृत्य था."