मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के गांव मुल्तानपुरा में कुछ मरीजों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) संक्रमण की पुष्टि के बाद मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक दल ने यहां का दौरा किया और हालात का जायजा लिया.
मंदसौर की जिलाधिकारी अदिति गर्ग ने कहा कि वर्तमान में जीबीएस पीड़ित मरीजों की कुल संख्या छह है, जिनमें दो ऐसे हैं जो बाहर इलाज करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिले में कुछ हफ्तों पूर्व जीबीएस के मामले सामने आए थे, उसके बाद जिलास्तरीय टीम ने घर-घर जाकर सर्वे किया.
केंद्रीय टीम ने लिया हालात का जायजा
गर्ग ने कहा कि इसी सिलसिले में आज केंद्रीय टीम आई थी, जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विशेषज्ञों द्वारा किया गया है. उन्होंने कहा कि इस टीम ने हालात का जायजा लिया और जीबीएस के मामलों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की.
उन्होंने कहा कि टीम यह जानने का प्रयास कर रही है कि पीड़ित कैसे जीबीएस से संक्रमित हुए और फिलहाल कितने ऐसे लोग इसकी चपेट में आए हैं.
प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है जीबीएस
जीबीएस एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियों में कमज़ोरी और कभी-कभी पक्षाघात हो जाता है. जीबीएस के लक्षणों की शुरुआती पहचान और समय पर उपचार ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
स्वस्थ होकर घर भी लौट रहे हैं बीमारी से ग्रस्त मरीज
एक अधिकारी ने बताया कि अच्छी बात यह है कि इस बीमारी से ग्रस्त मरीज स्वस्थ होकर घर भी लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब तक सामने आए आठ मरीजों में से तीन स्वस्थ होकर लौट चुके हैं, बाकी का इलाज फिलहाल इंदौर, अहमदाबाद और भोपाल में जारी है.
फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्थिति पर नजर रखी जा रही है.