बीजेपी के थिंक टैंक कहे जाने वाले पार्टी के सीनियर लीडर और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा के रण में उतार कर साफ कर दिया है कि पार्टी हर हाल में मध्यप्रदेश में सत्ता पर काबिज होना चाहती है. यही वजह है कि नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय सरीखे नेताओं को टिकट देकर पार्टी न केवल एक सीट बल्कि उस सीट पर जिस पर ये नेता चुनाव लड़ेंगे उसके आसपास की तकरीबन पांच पांच सीटों को जिताने की जिम्मेदारी भी परोक्ष तोर पर सौंप रही है. भारतीय जनता पार्टी की इंदौर के नेताओं में इस वक्त कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन, कृष्णमुरारी मोघे और सत्यनारायण सत्तन, महेंद्र हार्डिया, जैसे नेता वरिष्ठ भाजपा नेताओं की श्रेणी में हैं. 

आकाश विजयवर्गीय का राजनीतिक भविष्य क्या?वरिष्ठ पत्रकार डॉ. प्रतीक श्रीवास्तव ने एबीपी लाइव से चर्चा में बताया कि कैलाश विजयवर्गीय का टिकट फाइनल होने के बाद अब आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलेगा या नहीं इसे लेकर संशय समाप्त हो चुका है और वे अब विधानसभा तीन से दावेदारी शायद ही करें. डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं कि आकाश के चुनाव न लड़ने की स्थिति में इंदौर की बीजेपी की मौजूदा तीन नम्बर विधानसभा सीट खाली हो जाएगी ऐसे में यहां पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने बेटे मंदार महाजन के लिए टिकट की मांग कर सकती हैं.  

उन्होनें कहा कि ताई फिलहाल सक्रिय राजनीति में नही हैं लेकिन अपने बेटे के लिए वे टिकट की दावेदारी कर सकती हैं. इंदौर की सभी नौ विधानसभा सीटों पर बात करते हुए डॉक्टर प्रतीक श्रीवास्तव ने बताया कि इंदौर में बीजेपी कांग्रेस के बनस्पत मजबूत नजर आती है. क्योंकि यहां से 8 बार भाजपा सांसद और पांच बार से भाजपा नगर निगम पर हावी है. वहीं 9 में से महज 2 विधायक ही कांग्रेस के खेमे से हैं.

 इंदौर की सभी नौ विधानसभाओं की मौजूदा हालतइंदौर जिले की बात करें तो इंदौर में 9 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें देपालपुर, इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, डॉ. अम्बेडकर नगर (महू), राऊ और सांवेर विधानसभा शामिल है. जिनके राजनीतिक समीकरण कुछ इस तरह हैं.देपालपुर इंदौर से तकरीबन चालीस किलोमीटर दूर स्थित देपालपुर विधानसभा में हाल फिलहाल कांग्रेस मजबूत है. पिछले चुनावों में यहां कांग्र्रेस ने बीजेपी को मात देकर अपना विधायक खड़ा कर लिया है. कांग्रेस से यहां विशाल पटेल विधायक हैं जो क्षेत्र में खासे एक्टिव हैं. वहीं भाजपा की ओर से कल शाम को जारी हुई लिस्ट में पूर्व विधायक मनोज पटेल को फिर एक बार पार्टी ने अवसर दिया है. विशाल पटेल का टिकट कांग्रेस से तय माना जा रहा है वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक पर इस मकसद से दाव खेला है कि वे उन्हें जीत दिलाएंगे. वैसे पटेल और कलोता समाज का इस सीट पर प्रभाव अधिक है इसलिए पटेल समाज को ही ये सीट मिलती आ रही है. इंदौर-1जिस सीट से भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव में उतारा है वह अब इंदौर विधानसभा की सबसे हॉट सीट बन चुकी है. अबतक ये सीट कांग्रेस के कब्जे में है. यहां से कांग्रेस के संजय शुक्ला मौजूदा विधायक हैं. संजय शुक्ला ने साल 2018 के चुनावों में बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता को मात दी थी. इस विधानसभा में यादव और ब्राहम्ण समाज का खासा वर्चस्व है. इसलिए यहां कांग्रेस ने संजय शुक्ला पर दाव खेला था. संजय शुक्ला के पिता विष्णुप्रसाद शुक्ला भाजपा के बड़े नेता रहे लेकिन संजय शुक्ला ने भाजपा की बजाए कांग्रेस के साथ अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाया.

इंदौर-2अगर ये बात कही जाए कि पूरे मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से भाजपा ने कौन सीट फतह की तो उसमें इंदौर की दो नम्बर विधानसभा का नाम ही आएगा. इस विधानसभा में कैलाश विजयवर्गीय के खासमखास और पार्टी के सीनीयर लीडर रमेश मेंदोला विधायक हैं. ये सीट भाजपा के कब्जे में सालों से है और यहां कांग्रेस अबतक फतह हासिल नही कर सकी है. 2018 में इंदौर-2 में कुल 64 प्रतिशत वोट पड़े. 2018 में भारतीय जनता पार्टी से रमेश मेंदोला ने आईएनसी के मोहन सिंह सेंगर को 71 हजार वोटों के मार्जिन से हराया था. यहां 2003 में बीजेपी से देवीसिंह पटेल ओर उसके बाद से ही भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश मेंदोला लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं.इंदौर-3इंदौर विधानसभा क्रमांक तीन की बात करें तो ये विधानसभा इंदौर का दिल कही जाती है. यानि शहर के बीचोंबीच स्थित इस विधानसभा में हाल फिलहाल भारतीय जनता पार्टी का विधायक है. यहां से कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अश्विन जोशी को 5700 वोटों से मात दी थी. यहां पिछले पांच चुनावों में तीन बार कांग्रेस तो दो बार बीजेपी उम्मीदवार जीते हैं. यह व्यापारी वर्ग का क्षेत्र है और यहां कांग्रेस का भी खास दबदबा है. यहां से कांग्रेस के सीनीयर लीडर अश्विन जोशी और दीपक जोशी इस बार दम आजमा रहे हैं. यहां से स्वर्गीय महेश जोशी भी जो कि कांग्रेस से ताल्लुक रखते थे कैबिनेट मंत्री रहे हैं.

इंदौर-4इंदौर में अगर बीजेपी की अयोध्या कहीं है तो वह यही विधानसभा है. इस विधानसभा में 2003 के बाद से ही अबतक कांग्रेस चौखट पर ही दम तोड़ती नजर आई है. यहां बीते बीस सालों से भाजपा का उम्मीदवार विधायक बनता आ रहा है. बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल के बाद यहां स्व. लक्ष्मण सिंह गौर की पत्नी मालिनी गौड़ विधायक हैं. कांग्रेस को ये सीट जीतना है तो पूरा दमखम लगाते हुए सीट फतह करनी होगी.

इंदौर-55 नम्बर विधासनभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र हार्डिया यहां से विधायक हैं. महेंद्र हार्डिया पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी भी वोट बैंक के लिहाज से महत्व रखती है. यहां 2018 के चुनावों में महेंद्र हार्डिया ने अपने कांग्रेस के प्रतिद्धंदी सत्यनारायण पटेल को 1133 मतों से मात दी थी. इस सीट पर महेंद्र हार्डिया लगातार जीतते आ रहे हैं. 

डॉ. अम्बेडकर नगर (महू)आर्मी बेस कही जाने वाली डॉ अम्बेडकर नगर या महू की सीट पर पिछले तीन बार से भाजपा का विधायक काबिज रहा है. यहां से 2008 में कैलाश विजयवर्गीय, 2013 में भी कैलाश विजयवर्गीय, और फिर 2018 में बीजेपी की ही उषा ठाकुर ने जीत फतह की थी. इसके बाद से ही यहां बीजेपी लगातार जीतती आ रही है. लेकिन महू के स्थानीय लोगों में एक बात को लेकर गम है कि उन्हें भाजपा ने कभी स्थानीय उम्मीदवार नही दिया. 

राऊ इंदौर की राऊ विधानसभा सीट की बात करें तो ये सीट फिलहाल कांग्रेस के कब्जे में है और यहां से कांग्रेस के फायरबा्रंड नेता जीतू पटवारी विधायक हैं. जीतू पटवारी पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और क्षेत्र में गतिशील रहते हैं. यहां भारतीय जनता पार्टी ने मधु वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. मधु वर्मा इससे पहले जीतू पटवारी के सामने चुनाव लड़े थे लेकिन मात खा गए थे. यहां मधु वर्मा ने हारने के बाद भी मैदान नही छोड़ा और कोरोना काल में भी डटे रहे. यही वजह है कि इस बार मधु वर्मा अपने टिकट पर जीत का दावा करते दिख रहे हैं. 2008 में यहां से बीजेपी के जीतू जिराती विधायक बने थे लेकिन 2013 के बाद से कांग्रेस के जीतू पटवारी ने इस सीट पर कब्जा जमाया हुआ है.

सांवेरसांवेर विधानसभा की बात करें तो ये सीट कभी बीजेपी और कभी कांग्रेस के खाते में आती जाती रही है. यहां से फिलहाल कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए तुलसी सिलावट विधायक हैं और राज्य में मंत्री भी हैं. इनसे पहले यहां पर राजेश सोनकर भाजपा से विधायक रहे और ये सीट अब फिर से तुलसी सिलावट को उम्मीदवारी के लिए मिलने की संभावनाएं बन रही हैं.