एमपी के छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में मिलावटी कफ सिरप से बच्चों की मौत की भयावह घटना के बाद परिजनों का दर्द अब और गहराता जा रहा है. जिन्होंने अपने बच्चों को बचाने के लिए गहने गिरवी रखे, ऑटो बेचा और उधार लिया था और आज वही परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं. इस त्रासदी में अब तक 14 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अब भी अस्पतालों में जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं.
बच्चों को बचाने की जद्दोजहद में सब कुछ गंवा बैठे परिवार
परासिया के यासीन खान अपने चार वर्षीय बेटे उसेद की मौत के बाद टूट चुके हैं. हल्के बुखार और खांसी के बाद जब स्थानीय डॉक्टर ने ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ देने की सलाह दी, तो उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि वही सिरप जहर साबित होगा. बेटे की हालत बिगड़ने पर उन्होंने पहले छिंदवाड़ा और फिर नागपुर अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज के लिए खान ने अपना ऑटो-रिक्शा बेच दिया, जबकि उनकी पत्नी ने शादी के गहने गिरवी रख दिए. दुख की बात यह रही कि लाख कोशिशों के बाद भी उसेद को नहीं बचाया जा सका, और इसी बीच उनका छोटा सा घर भी ढह गया.
गरीब परिवारों पर टूटा दोहरा संकट
यह कहानी केवल खान की नहीं है. परासिया के मजदूर विकास यादव और उनकी पत्नी कुंती ने भी वही जहरीला सिरप पिलाने के बाद अपने छोटे बेटे को खो दिया. पीटीआई के अनुसार, यादव ने कहा, “हमने इलाज के लिए रिश्तेदारों और ग्रामीणों से करीब पांच लाख रुपये उधार लिए. अब न बेटा है, न कर्ज चुकाने का कोई साधन.” अधिकतर पीड़ित परिवार दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनकी आय सीमित है और जिन पर अब कर्ज़ और दर्द दोनों का पहाड़ टूट पड़ा है.
सरकार की मदद और सियासी बयानबाजी
मध्यप्रदेश सरकार ने प्रत्येक पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने छिंदवाड़ा जाकर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और कहा कि तमिलनाडु की उस फैक्ट्री की दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है, जहां से जहरीला सिरप आया था. उन्होंने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को भी जांच में शामिल करने की बात कही. वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की.
जांच तेज, दोषियों पर शिकंजा कसने की तैयारी
अब तक 14 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो चुकी है- जिनमें 11 परासिया, दो छिंदवाड़ा शहर और एक चौरई तहसील से हैं. आठ बच्चे नागपुर में विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं. पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित की है और तमिलनाडु स्थित कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. राज्य सरकार ने वादा किया है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन जिन घरों में मासूमों की हंसी अब हमेशा के लिए खामोश हो गई, उनके लिए यह त्रासदी जीवनभर की सज़ा बन चुकी है.