MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. चुनावी सरगर्मी के बीच सिंगरौली (Singrauli) जिले की देवसर (Devsar) विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है. यहां  80 साल के नाना और 27 साल की नातिन के बीच मुकाबला होने जा रहा है. कांग्रेस (Congress) ने यहां ज्यादा उम्र के उम्मीदवार वंशमणि प्रसाद वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से वंशमणि की नातिन डॉक्टर सुषमा प्रजापति को मैदान में उतारा है.

डॉक्टर सुषमा सबसे कम उम्र की महिला प्रत्यासी है, जो विधायक बनने की चाह में डॉक्टरी पेशे से अब विधायक बनने की सफर पर निकल पड़ी हैं, डॉक्टर सुषमा ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में राजनीति में आने की वजह बताई. डॉक्टर सुषमा प्रजापति ने कहा कि पिछले कई वर्षों से  मेरे पिता डॉक्टर एच एल प्रजापति डॉक्टरी पेशे के साथ-साथ राजनीति में भी थे. उन्होंने बताया कि मेरे पिता जनपद पंचायत अध्यक्ष भी रहे. मेरे पिता ने साल 2018 का विधानसभा चुनाव में भी लड़ा.

सपा से डॉक्टर सुषमा प्रजापति को मैदान मेंडॉक्टर सुषमा ने कहा कि, लेकिन कुछ लोगों की वजह से उन्हें राजनीति का शिकार होना पड़ा. उनके ऊपर कई मुकदमे में लाद दिए गए . जिस वजह से अब वह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इसलिए पिता ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. मैं पेशे से एक डॉक्टर हूं और अब अपने पेशे के साथ-साथ राजनीति भी करना चाहती हूं. इसलिए विधानसभा का चुनाव लड़ रही हूं. यहां के ज्वलंत मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही हूं और उनका आशीर्वाद मांग रही हूं .

कांग्रेस से  वंशमणि वर्मा मैदान मेंउन्होंने कहा कि  देवसर विधानसभा सीट से ही मेरे नाना वंशमणि वर्मा भी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैऔर मैं समाजवादी पार्टी से लड़ रही हूं. जनता का आशीर्वाद मुझे जरूर मिलेगा. बता दें कि सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुभाष वर्मा का टीकट काटकर राजेन्द्र मेश्राम को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने वंशमणि वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. वो आठवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. 80 साल के वंशमणि वर्मा ने पहली बार 1977 में चुनावी ताल ठोकी थी. 

वंशमणि वर्मा तीन बार रह चुके हैं एमएलएवंशमणि वर्मा तीन बार विधायक रह चुके हैं. वो 1980 और 1993 में कांग्रेस फिर 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे. सूबे में जब कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई, तो वंशमणि वर्मा को मंत्री बनाया गया. साल 2013 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय और फिर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. दोनों ही बार उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 

साल 2013 में राजेंद्र मेश्राम और 2018 में सुभाष वर्मा ने उन्हें हराया. अब एक बार फिर से वंशमणि वर्मा चुनावी मैदान की जंग जीतने की होड़ में कूद पड़े हैं. हालांकि इस बार इस विधानसभा सीट से 12 उम्मीदवार विधायक बनने की होड़ में चुनावी दंगल में है. ऐसे में विजय का ताज किसके सर पर होगा यह तो आने वाले 3 दिसम्बर को मतदान परिणाम के बाद तय हो पायेगा.

MP Naxal Killings: मध्य प्रदेश के चुनावी मौसम में एक्टिव हुए नक्सली, पुलिस का मुखबिर होने के शक में मार दी गोली