जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि एक सरकारी कर्मचारी तीसरी बार प्रसव अवकाश (Maternity Leave) की हकदार है, यदि वह अपने पहले पति को तलाक देने के बाद फिर से शादी करती है और गर्भवती (Pregnant) हो जाती है. अदालत ने इसका आदेश शिक्षा विभाग को दिया है. इस मामले की याचिकाकर्ता तलाक के बाद दूसरी बार मां बनने वाली है.


याचिकाकर्ता की क्या दलील थी


यहां बता दें कि कुछ समय पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सामने एक अजीब प्रश्न आया था कि यदि कोई तलाकशुदा (Diworcee) या विधवा (Widow) महिला दोबारा शादी करती है तो उसे प्रसव अवकाश (Maternity Leave) दिया जाना चाहिए या नहीं. यह प्रश्न इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि याचिकाकर्ता महिला अपनी पहली शादी से हुए दो बच्चों के दौरान यह सुविधा ले चुकी है. जबलपुर के एक सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिका में दलील दी थी कि सरकारी कर्मचारी को दूसरी शादी करने पर दो बार और मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए.


गौरतलब है कि राज्य सरकार के सिविल सेवा नियम 1966 के अनुसार सेवा में रहने के दौरान एक कर्मचारी को केवल दो बार मातृत्व अवकाश मिल सकता है. जबलपुर जिले के एक गांव की प्राथमिक शिक्षिका प्रियंका त्रिपाठी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.


क्या है पूरा मामला


याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अंजली बनर्जी ने कहा कि याची प्रियंका त्रिपाठी की पहली शादी साल 2002 में हुई थी. पहली शादी से उनके दो बच्चे हैं. साल 2018 में उसने तलाक ले लिया और पिछले साल दोबारा शादी की. अब वह फिर से गर्भवती है.


याचिका में कहा गया है कि अगर तलाक के बाद महिला दोबारा शादी करती है तो उसे दो बार और मातृत्व अवकाश दिया जाना चाहिए. अदालत से सरकार को ऐसा कानून बनाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया. शिक्षिका प्रियंका त्रिपाठी ने अपने तर्क के समर्थन में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश की एक प्रति भी प्रस्तुत की. जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रारंभिक दलीलों को सुनने के बाद मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था. अब हाईकोर्ट ने मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग को आदेश दिया कि प्रियंका त्रिपाठी को तीसरी बार मातृत्व अवकाश दिया जाए.


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