Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सरकारी नौकरियों में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) से जुड़ी याचिकाओं पर अब 12 मार्च को सुनवाई होगी. शासन की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि ओबीसी मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाओं पर 4 मार्च को सुनवाई होनी है. इसलिए मामले को उसके बाद की डेट में सुना जाए. इसके बाद जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई स्थगित कर 12 मार्च को तय कर दी है.


बता दें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में शुक्रवार (1 मार्च) को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण से जुड़े प्रकरणों की सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की नौकरियों में 87 प्रतिशत पदों को भरने और 13 फीसदी पद होल्ड करने का मुद्दा गंभीरता से उठाया गया. दरअसल शिक्षक भर्ती और सब इंजीनियर भर्तियों से जुड़े मामले में संबंधित याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार द्वारा 13 फीसदी पद होल्ड करने के कारण उनकी नियुक्ति नहीं हो रही है.


कोर्ट ने क्या कहा?
इस दौरान दलील दी गई कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत ये पद होल्ड किए गए हैं. इस पर कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि न्यायालय द्वारा ऐसा कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है. इसके बाद यह तर्क दिया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में परिपत्र जारी किया गया है. इस पर कोर्ट ने परिपत्र पेश करने के आदेश दिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट से यह भी कहा गया कि महाधिवक्ता के अभिमत के चलते यह व्यवस्था दी गई है. इस पर कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता के अभिमत का परीक्षण नहीं किया जा सकता, यदि सरकार का कोई आदेश है तो वह प्रस्तुत करें.


12 मार्च को होगी अगली सुनवाई
वहीं शासन की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाओं पर 4 मार्च को सुनवाई होनी है. इसलिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में मामले को उसके बाद की डेट में सुना जाए. इसके बाद जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले पर सुनवाई स्थगित करके 12 मार्च को अगली सुनवाई तय कर दी.


2019 में दायर हुई थी याचिका 
बता दें ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देते हुए एमपी हाई कोर्ट में सबसे पहले वर्ष 2019 में याचिका दायर हुई थी. उसके बाद इसके पक्ष और विपक्ष में करीब 10 याचिकाएं और दाखिल हुईं. सभी याचिकाओं पर एक साथ हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. याचिकाओं में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. वहीं ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार 27 फीसदी आरक्षण का दावा कर रहे हैं.




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