Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के पचौर आईटीआई कॉलेज के हॉस्टल में रहने वाले लड़के हमेशा डरे सहमे रहते हैं, क्योंकि छात्रावास भवन की स्थित इस कदर जर्जर हो चुकी है कि वह एक जीता जागता भूत बंगला लगता है. इस हॉस्टल को लेकर यहां रहने वाले छात्रों का यही कहना है. छत की स्थिति ऐसी है कि मानों कभी भी छत भरभरा कर गिर सकती है. गेट और खिड़कियों में दीमक लग चुके हैं. छात्रावास के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
छात्रावास को देखने वाला कोई नहीं है और नहीं इसकी जिम्मेदारी कोई सरकारी मुलजिम लेने वाला है. सरकारी अधिकारी इसका नाम लेने से कन्नी काट अपनी जवाबदेही से बचना चाहते हैं. छात्रावास का ये खंडहर भवन छात्रों के हवाले कर दिया है. सुरक्षा के घोर अभाव होने के कारण यहां रात के समय नशेड़ी और जुआरियों का जमघट लगता है, जिस वजह से छात्रावास में रहने वाले छात्र में डर का माहौल है. आईटीआई पचोर हॉस्टल की हालत देखकर इतना तो समझ आ रहा है कि जिले के जिम्मेदार अफसरों का ध्यान छात्रावास की दयनीय स्थिति पर बिलकुल नहीं है. जबकि इस छात्रावास पर हर महीने लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं. छात्रावास में कई कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी और कार्यालय कर्मी यहां नियुक्त किए गए हैं. लेकिन सब कुछ कागजों में ही सिमट कर रह गया है. हकीकत में छात्रावास में न तो कोई कर्मचारी है और न ही कोई सफाई कर्मी जो छात्रावास का ख्याल रख सकें. छात्रों ने छात्रावास की समस्या को लेकर डीएम को की शिकायतआईटीआई पचोर के हॉस्टल में अव्यवस्थाओं से तंग छात्रों में आक्रोश भरा हुआ है. नाराज छात्रों ने समस्याओं के जल्द समाधान के लिए जिले के जिलाधीश यानी कलेक्टर से मुलाकात कर शिकायत किया. छात्रों ने कलेक्टर के सामने कहा कि, छात्रावास में साफ-सफाई के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. सफाई के लिए किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई है.
छात्रावास में लंबे समय से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. छात्रों को खुद से ही पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. पढ़ने के लिए बिजली की भी उचित व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से छात्राओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है. छात्रों द्वारा शिकायत करने पर भड़के ITI प्रधानाचार्यछात्रावास में रहने वाले छात्रों ने कहा कि छात्रावास की समस्या को लेकर हम लोग कलेक्टर से मिलकर शिकायत किए, जिसके बाद से कॉलेज के प्रिंसिपल एमएस चौहान भड़क गए और सभी छात्रों के सामने उन्होंने कहा कि जिसको नहीं रहना है वह चले जाएं. क्या कलेक्टर साहब ने पूरी व्यवस्था सही कर दी?
कलेक्टर साहब मुझे ही बोलेंगे इसलिए यहां रहना है तो यहां के तौर तरीकों से रहना होगा. इसका मतलब ये हुआ कि यहां रहने वाले छात्रों ने जब अपनी समस्या सुनाई तो प्रिंसिपल ने उन्हें खरी खोटी सुनाई और दूसरे तरीके से कहे तो उन्हें धमकाया भी. वहीं, छात्रों के साथ अभद्रता से पेश आने पर जब प्रिंसिपल एमएस चौहान से इस मामले को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि, हमने किसी भी छात्र को किसी भी तरह से डराया या धमकाया नहीं है, बल्कि मेरे कहने का आशय था कि किसी भी समस्या का समाधान हम सभी को मिलकर करना होगा, शिकायत करने से समस्या का समाधान नहीं होता है.
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