मध्य प्रदेश कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की तर्ज पर विधानसभा चुनावों के लिए अपना अभियान शुरू कर दिया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने जबलपुर के गौरीघाट में नर्मदा तट पर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की. प्रियंका गांधी का अंदाज यहां पर भी हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जैसा ही था. यहां पर भी पांच वादे थे और पूजा पाठ से चुनाव अभियान का आगाज.  यानी मध्यप्रदेश कांग्रेस ने चुनावी अभियान के लिए 'सॉफ्ट हिंदुत्व' का विकल्प चुन लिया है. 


विधानसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले कांग्रेस ने 40 से 45 प्रकोष्ठों का गठन किया है. इनमें से तीन प्रकोष्ठों  में ‘पुजारी प्रकोष्ठ के अलावा ‘मठ मंदिर प्रकोष्ठ’ और धार्मिक उत्सव प्रकोष्ठ शामिल हैं. इन सभी प्रकोष्ठों में लगे भगवा झंडों की भी चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि इसका मकसद पुजारियों का मानदेय बढ़ाना है.


दूसरी तरफ कमलनाथ को भगवान हनुमान के सबसे बड़े भक्त के तौर पर पेश किया जा रहा है. उन्होंने अपने छिंदवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र में भगवान हनुमान की 101 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी. छिंदवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से ही कमलनाथ को सांसद और विधानसभा के सदस्य के रूप में 10 बार चुना जा चुका है. 


कर्नाटक में पार्टी की जीत के बाद मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बैनर और पोस्टर लग चुके हैं जिनमे लिखा हुआ है, 'हनुमान भक्त कांग्रेस पार्टी को मिला आशीर्वाद कर्नाटक में'. वहीं बीजेपी कांग्रेस की 'सॉफ्ट हिंदुत्व' को 'नौटंकी' बता रही है. 




इसी के साथ कांग्रेस पर आरोप लगने लगे हैं कि वो ‘विधानसभा के चुनावों को देखते हुए हिन्दुओं को लुभाने के लिए’ ये सब कुछ कर रही है. सवाल ये भी  है कि क्या कांग्रेस अपनी 'मुस्लिमों की हितैषी' छवि से छुटकारा पाना चाहती है? ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस अब सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढ़ रही है?  


पहले मध्यप्रदेश की डेमोग्राफी समझिए




क्या है मुसलमानों की राय


भोपाल की रहने वाली आफरीन खाना ने एबीपी को बताया कि सच्चर आयोग की रिपोर्ट में हम लोग सबसे पीछे हैं, हमारी स्थिति सब देख ही रहे हैं. हमारे लिए सबसे जरूरी रोजगार है. कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को दरकिनार कर दिया था. हमें जो भी रोजगार देगा हम उसे ही वोट देंगे. 


भोपाल के ही रहने वाले जुबैर कुरैशी ने एबीपी को बताया कि मध्य-प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति बिल्कुल अलग है. यहां पर मुसलमान कम हैं. यहां पर हम लोग कांग्रेस को अपनी पार्टी मानते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से हमें ये लगने लगा है कि कांग्रेस पूरे मुसलमान समुदाय को नजरअंदाज करने लगी है. कांग्रेस पहले अच्छी संख्या में मुस्लिम नेताओं को टिकट भी देती थी. पिछले कुछ सालों से एक या दो मुस्लिम नेताओं को ही कांग्रेस टिकट दे रही है. ऐसे में कैसे कहें कि वो हमारे लिए अच्छा सोच रही है. 


34 साल के आमिर अली बताते हैं कि भोपाल एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. इसके नतीजे सीधे-सीधे असर भी रखते हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस का रुख मुसलमानों को नाराज करेगा. कांग्रेस अपने मुस्लिम वोटर को नाराज करके खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है. वो कहते हैं 'मुझे लगता है कि कांग्रेस बीजेपी से डर गई है. लेकिन उसका ये साबित करना कि वो हिंदुओं की पार्टी है लेकिन ये मुसलमानों को नाराज करने जैसा हो सकता है. अगर ऐसा ही रहा तो यहां पर कोई तीसरी पार्टी को मैं वोट दूंगा.. क्योंकि न तो बीजेपी न ही कांग्रेस मुस्लिम की वकालत करती दिख रही है. 


भोपाल के रहने वाले राशिद ने बताया कि कांग्रेस कहीं न कहीं मुसलमानों का जिक्र करने से बचने लगी है. इसे मुसलमान समुदाय अच्छे से समझ भी रहा है. ये देश हर धर्म के मानने वालों का है. फिर हमारे लिए कौन आवाज उठाएगा. ऐसा लगने लगा है कि कोई भी पार्टी हमारी मदद नहीं करेगी.  


सॉफ्ट हिंदुत्व पर क्या सोचती है कांग्रेस


इसी सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने एबीपी न्यूज से फोन पर बातचीत में बताया कि सॉफ्ट हिंदुत्व और हार्ड हिंदुत्व कोई संवैधानिक पद नहीं है. कांग्रेस पार्टी के बुनियाद धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है. कांग्रेस पार्टी कभी भी इससे समझौता नहीं करेगी. 


अभय दुबे ने बताया कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों में भेद नहीं करती है. कांग्रेस के लिए सब एक बराबर ही हैं. कांग्रेस बिना भेदभाव के लगातार काम करती है और करती रहेगी.


कांग्रेस प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम ने बताया कि कांग्रेस पार्टी कोई सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति नहीं कर रही है. यहां पर अधिकतर वोटर हिंदू हैं. इसलिए कांग्रेस अपने हिंदू वोटरों को भी ध्यान में रख कर तैयारियां कर रही है. कांग्रेस में भी कई नेता हिंदू हैं और अगर वो अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन करना चाहते हैं तो इससे बीजेपी को बुरा क्यों लग रहा है. क्या धर्म पर सिर्फ बीजेपी का अधिकार है? कांग्रेस धर्म की राजनीति बिल्कुल नहीं कर रही है. कांग्रेस के मुद्दे हमेशा विकास के मुद्दे ही रहेंगे. 


संतोष सिंह गौतम ने कहा कि कांग्रेस ने घोषणा की है कि 1500 रुपये प्रतिमाह महिलाओं को दिया जाएगा यानी हम विकास पर ही काम कर रहे हैं.  


कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की वजह से मुस्लिम वोटर दूर होगा?


वहीं बीजेपी प्रवक्ता प्रहलाद कुशवाहा एबीपी न्यूज से फोन पर बातचीत में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस इस तरह की बातें करती है. इनका किसी भी हिंदू प्रतिष्ठानों से कोई लेना देना नहीं है. कुशवाहा ने कहा कि हाल ही में भोपाल में एक कांग्रेस नेता ने ही कहा है कि सॉफ्ट हिंदुत्व की वजह से मुस्लिम वोटर पार्टी से दूर हो रहा है. पार्टी के ही नेता पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने लगे हैं. 


प्रहलाद कुशवाहा ने कहा कि कांग्रेस अपनी ही नीतियों का पालन नहीं कर पाने वाली पार्टी है. राहुल गांधी देश में हिंदुत्व पर बात करते हैं. मंदिर में माथा टेकते हैं, और विदेश जा कर उसी हिंदु्त्व का अपमान करते हैं. ऐसे में कोई भी हिंदू कैसे कांग्रेस पर भरोसा करेगा? पार्टी के नेताओं में ही दरार है, पहले वो अपनी आपसी दरार को दूर करें फिर राजनीति करें तब ही उनके लिए कुछ अच्छा होगा.


2018 में टूट चुकी है कांग्रेस की सरकार


मध्यप्रदेश में साल 2003 से बीजेपी सत्ता में थी लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी चुनाव जीत गई. पार्टी ने कमलनाथ के नेतृत्व में  मध्य प्रदेश में सरकार बनाई. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के साथ ही 15 महीनों की कमलनाथ सरकार गिर गयी.


 




'बीजेपी से कम नहीं की रणनीति' या बीजेपी से डर गई है कांग्रेस?



मध्य प्रदेश की राजनीति पर पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष मानव ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व पर चलना कोई नई बात नहीं है. मगर वो पहले सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार नहीं करती थी. उन्होंने कहा कि अब इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक रणनीति बदल ली है.


मानव ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में मुस्लिम वोटर बहुत प्रभावी नहीं है. कुल 7 से 8 प्रतिशत ही मुस्लिम आबादी है. यहां 3-4 ही सीटें जहां पर मुसलमान 'डिसाइडिंग फैक्टर' करते हैं. कांग्रेस को ये दिख रहा है कि बिना हिंदु्तव की राह अपनाए वो चुनाव नहीं जीत सकती. बीजेपी की स्थिति भले ही मध्य प्रदेश में कुछ खास नहीं है, लेकिन यहां पर शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता बहुत ज्यादा है. कांग्रेस ये सब बाखूबी समझ रही है, इसलिए उसने सॉफ्ट हिंदुत्व को खुले तौर पर अपना लिया है. 


संतोष मानव का कहना है कि इस बार कांग्रेस ने जिस तरह से हिंदुत्व के एजेंडे को अपनाया है वो सॉफ्ट नहीं खुले तौर पर हार्ड हिंदुत्व है. मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस में फर्क करना मुश्किल हो गया है. कांग्रेस बीजेपी के हथियार को बुरी तरह से तोड़ना चाह रही है.


मानव का कहना है कि कांग्रेस हिंदुत्व की पिच पर खेलने की तैयारी कमलनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही करना शुरू कर दिया था.  मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय में देवी देवताओं की प्रतिमा लगाई जाती है, यहां पर ये कोई नई बात नहीं है. पार्टी हिंदुओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. हाल ही में प्रियंका गांधी ने 101 ब्राह्मणों के साथ नर्मदा पूजन किया. कांग्रेस हिंदुत्व के सवाल पर खुद को बीजेपी से कमतर नहीं बताना चाहती है.


क्या कांग्रेस को नहीं है मुसलमानों की परवाह 


पत्रकार ओम प्रकाश अश्क ने बताया कि मध्य प्रदेश में दोनों पार्टियां लोकलुभावन वादें कर रही हैं. दोनों में समान हिंदुत्व का एजेंडा भी है. हिंदुत्व का एजेंडा बीजेपी के खिलाफ नहीं जा सकता है, लेकिन ये कांग्रेस के खिलाफ नहीं जाएगा ये कहा नहीं जा सकता. भले ही मुस्लिमों की आबादी वहां पर कम है लेकिन सरकार के बनाने में उनका अहम रोल रहा है.