MP News: हमेशा भगवान राम की भक्ति में लीन रहने वाले सियाराम बाबा (Siyaram Baba) रोजाना 21 घंटे रामायण (Ramayana) का पाठ करते हैं. वे 100 साल की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन आज भी बिना चश्मा लगाए हर अक्षर को आसानी से पढ़ लेते हैं. रामभक्ति की ऐसी अद्भुत धुन देखकर हर कोई नतमस्तक हो जाता है, और शायद यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के आश्रम में आकर उनसे मिलना अपना सौभाग्य मानते हैं.


नहीं लेते 10 रुपये से ज्यादा का दान


संत सियाराम बाबा का आश्रम मध्य प्रदेश में खरगोन जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर भट्यान गांव में नर्मदा किनारे स्थित है. भक्तों ने बताया कि संत सियाराम बाबा धर्मशाला और मंदिरों के लिए करोड़ों रुपये दान कर चुके हैं, लेकिन आज भी किसी भी श्रद्धालु को अपने आश्रम में ₹10 से ज्यादा का दान नहीं चढ़ाने देते हैं. यदि इससे अधिक कोई श्रद्धालु राशि देता है तो ₹10 काटकर उन्हें वापस लौटा देते हैं. संत बाबा के तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक लंगोट होती है. कड़ाके की ठंड हो, या बरसात हो, या फिर भीषण गर्मी, बाबा लंगोट के अलावा कुछ धारण नहीं करते. 



रोजाना हजारों भक्त लेते हैं आर्शीवाद


श्रद्धालु बताते हैं कि 1955 में बाबा इस गांव में आए थे. उनके सरल और दयालु प्रवृत्ति के चलते ग्रामीणों ने उनके लिए एक छोटा सा कमरा बनाया. तभी से वे नर्मदा किनारे अपने उसी आश्रम में रहते हैं. साधारण से कमरे में निवास करने वाले संत सियाराम बाबा के दर्शन के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से भी श्रद्धालु आते हैं. रोजाना हजारों लोग उनका आर्शीवाद लेने आते हैं. बाबा के आश्रम में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का हमेशा ताता लगा रहता है. इसके चलते आश्रम के पास मैदान में हमेशा मेला लगता है.


इनपुट:- फिरोज खान


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