Jabalpur Wheat Procurement Scam: मध्य प्रदेश के जबलपुर (Jabalpur) में राघव वेयर हाउस में सरकारी गेहूं के हेरफेर में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. शहपुरा के राघव वेयर हाउस की जांच पूरी हो चुकी है. प्राथमिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वेयर हाउस में 14 से 15 प्रतिशत गेहूं सड़ा, घुन लगा और अमानक निकला है. इस हिसाब से इसकी कीमत तकरीबन एक करोड़ रुपये है. कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि इस घपले के बाद जिले के 100 से अधिक वेयर हाउस की जांच की जा रही है.


बता दें शहपुरा के राघव वेयर हाउस में सरकारी गेहूं में हेरफेर के मामले में गुरुवार (16 मई) को एक और बड़ी कार्रवाई की गई. प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन ने शाखा प्रबंधक प्रियंका पठारिया को निलंबित कर दिया है. इसके लिए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने उन्हें प्रतिवेदन दिया था. निलंबन आदेश में कहा गया है कि उनके द्वारा राघव वेयर हाउस तहसील शहपुरा में गेहूं खरीदी में घोर लापरवाही बरती गई है. जिससे जिला प्रशासन और शासन के सामने निगम की छवि खराब हुई.





जांच में उड़ने लगा गेहूं का पाउडर
इस वजह से प्रियंका पठारिया को वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन्स एक्ट के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. निलंबन अवधि में पठारिया को क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर संलग्न किया गया है. दरअसल, मंगलवार (14 मई) को शहपुरा के राघव वेयर हाउस में हुई जांच में बड़ा खुलासा हुआ था. यहां बोरियों के बीच में सड़ा, घुना और अमानक गेहूं रखा गया था. गेहूं को जब हाथ में लिया जा रहा था, तो उसका पाउडर उड़ रहा था. इस गेहूं को पूरी तरह से छिपाया गया था, जिससे बाकी के गेहूं के भी सड़ने का खतरा था.


जांच के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर समिति प्रबंधक राजेश नंदेशरिया, खरीदी केन्द्र प्रभारी भूपेन्द्र सिंह पटेल, अभिषेक दीक्षित वेयर हाउस संचालक, ऑपरेटर श्रजल जैन, सर्वेयर प्रवीण पाठक और शुभम शर्मा के खिलाफ धारा 420, 409 और 34 के तहत शिकायत दर्ज कर जांच की जा रही है. अब प्रशासन ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए आसपास के वेयर हाउसों के साथ ही जिले के अन्य वेयर हाउसों की जांच भी शुरू कर दी है. 


एक करोड़ रुपये का नुकसान
कलेक्टर सक्सेना ने बताया कि तकरीबन 60% वेयर हाउस में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है. बाकी की जांच अभी चल रही है. बताया जा रहा है कि राघव वेयर हाउस में 212 किसानों से 25 हजार 800 क्विंटल की खरीदी दर्ज की गई, जिसमें से लगभग 20 हजार क्विंटल की स्वीकृति उपार्जन एजेंसी मार्कफेड द्वारा जारी की गई है. इसी आधार पर कुल राशि 6 करोड़ 19 लाख में से 4 करोड़ 56 लाख का भुगतान हो भी चुका है. अब 15 फीसदी गेहूं खराब मिलने के बाद अनुमान है कि शासन को करीब एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.



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