World Blood Donor Day 2024: रक्तदान को महादान कहा जाता है. दूसरी तरफ जबलपुर में खून के काले कारोबार का खुलासा हुआ है. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ब्लड दिलाने के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूली गयी.

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मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने ठेका पर सेवारत दो वार्ड ब्वॉय को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. तीन अलग-अलग मरीजों को ब्लड की आवश्यकता थी. आरोप है कि ठेका कंपनी हाइट्स के दो वार्ड ब्वॉय ने मोटी रकम वसूलकर ब्लड बैंक से खून उपलब्ध कराये.

ज्यादा रकम वसूले जाने की शिकायत मरीज के परिजन ने अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा से की. जांच में ठेका कंपनी के दो वार्ड ब्वॉय की भूमिका सामने आई. मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि शिकायत पर ठेका कंपनी को कार्रवाई के लिए लिखा है.

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फिलहाल दो वार्ड ब्वॉय को नौकरी से हटा दिया गया है. लापरवाही बरतने पर 2 सुपरवाइजरों के खिलाफ भी एक्शन हुआ है. पीड़ित मरीजों के परिजनों को रकम वापस कराई गई है.

मोटी रकम के बदले ब्लड देने पर गई दो वार्ड ब्वॉय की नौकरी

बताया जाता है कि तीनों मरीज मेडिकल कालेज अस्पताल के मेडिसिन विभाग में भर्ती थे. ब्लड की जरूरत पड़ने पर परिजनों ने वॉर्ड ब्वॉय से ब्लड बैंक का पता पूछा. दोनों वार्ड ब्वॉय ने मोटी रकम के बदलने 4 यूनिट खून उपलब्ध कराने का सौदा तय किया.

4 यूनिट रक्त के लिए 18 हजार रुपये वसूले जाने की बात सामने आ रही है. नियम कहता है कि मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक से ब्लड ले जाने की जिम्मेदारी जूनियर डॉक्टर या हाउस ऑफिसर की है. लेकिन कई बार मरीज के तीमारदार सीधे ब्लड लेने पहुंच जाते हैं. स्थिति को देखते हुए ब्लड उपलब्ध करा दिया जाता है.

ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर शिशिर चनपुरिया ने माना कि जूनियर डॉक्टर या हाउस ऑफिसर को ब्लड देने का नियम है. 

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