Jabalpur News Today: मध्य प्रदेश में पूरी सरकारी मशीनरी लोकसभा के चुनाव में व्यस्त है, लेकिन उसका अमला रिश्वतखोरी से बाज नहीं आ रहा है. जबलपुर के गोरखपुर तहसील कार्यालय में पदस्थ बाबू रिषी पांडे और अशोक रजक को लोकायुक्त टीम ने सोमवार (8 अप्रैल) को दस हजार की रिश्वत लेते दबोच लिया.


दोनों ने एक जमीन के नामांतरण प्रकरण को निपटाने के लिए रिश्वत की मांग की थी. लोकायुक्त डीएसपी नीतू त्रिपाठी के अनुसार, बाजनामठ निवासी सच्चिदानंद गिरी गोस्वामी ने लोकायुक्त को शिकायत देकर बताया था कि उनकी सास के नाम पर एक जमीन थी, जिसका नामांतरण होना था. इसके लिए उन्होंने गोरखपुर तहसीलदार कार्यालय में आवेदन किया था. 


लोकायुक्त की टीम ने किया ट्रैप
डीएसपी नीतू त्रिपाठी के मुताबिक, आवेदन जमा करने पर तहसील कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-2 रिषी पांडे और सहायक ग्रेड-3 अशोक रजक ने शिकायतकर्ता को बुलाकर नामांतरण आदेश पारित करने के एवज में 10 हजार रुपये के रिश्वत की मांग की थी. शिकायत की जांच करते हुए लोकायुक्त टीम ने दोनों बाबुओं की बातचीत को टेप कर लिया.


लोकायुक्त की टीम ने बाद में आवेदक सच्चिदानंद को सोमवार (8 अप्रैल) को रिश्वत की रकम लेकर गोरखपुर तहसीलदार के कार्यालय भेजा. कार्यालय में दोनों बाबू सच्चिदानंद को एक कमरे में ले गये और रिश्वत की रकम ली. तभी लोकायुक्त टीम ने दोनों को पकड़कर उनके हाथों से रिश्वत की रकम बरामद कर ली.


गिरफ्तार आरोपी गोरखपुर तहसील में थे तैनात
लोकायुक्त कार्यालय की कार्यवाही में रिश्वत लेते पकड़े गये गोरखपुर तहसील कार्यालय में पदस्थ दोनों कर्मचारियों को कलेक्टर दीपक सक्सेना ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. निलंबित कर्मचारियों में तहसीलदार गोरखपुर का प्रवाचक सहायक ग्रेड-तीन ऋषिकांत पांडे और गोरखपुर तहसील कार्यालय से संबद्ध कार्यालय संचालक महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान का सहायक ग्रेड-दो शामिल है.


दोनों कर्मचारियों के निलंबन आदेश सोमवार की देर शाम को ही जारी कर दिये गया था. निलंबित कर्मचारियों में अशोक रजक को निलंबन काल में तहसील कार्यालय कुंडम और ऋषिकांत पांडे को तहसील कार्यालय सिहोरा से संबद्ध किया गया है.


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