BJP's Poster Boy for Hindutva: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव न सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल हैं, बल्कि ये भारतीय जनता पार्टी के लिए वो मंच भी हैं, जिसके जरिए पार्टी अपनी अगली लीडरशिप लाइन को देश के सामने पेश कर रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा बीजेपी की इसी नई लीडरशिप के प्रमुख चेहरे हैं. ये दोनों ही दिग्गज भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय क्षत्रप बनकर उभरे हैं, जिनमें से एक ने उत्तर प्रदेश जैसे सियसी महत्व वाले राज्य में पार्टी के पैरों को मजबूत किया तो वहीं दूसरे ने पूर्वोत्तर में बीजेपी का परचम लहराया.


एक ने यूपी में मजबूत किए पैर, दूसरे ने पूर्वोत्तर में लहराया परचम


इन दोनों नेताओं में एक गुण समान है, वो है हिंदुत्व के बल्ले से बल्लेबाजी करने की कला का. गोरखनाथ मठ के महंत योगी आदित्यनाथ तो हिंदुत्व को लेकर शुरुआत से ही मुखर थे और उनकी इस पर्सनैलिटी से मिली पॉपुलैरिटी ने बीजेपी में उनके कद को मजबूत कर दिया. वहीं हिमंत बिस्वा सरमा पुराने कांग्रेसी हैं, जो बगावत के बाद बीजेपी से जुड़े और पार्टी का परचम उन्होंने पूर्वोत्तर में लहराने का काम किया.


सरमा ने भी इसके लिए हिंदुत्व को लेकर कट्टर रुख अपनाया और उसका फायदा भी उन्हें मिलते दिखाई दिया. ऐसे में उनकी बढ़ती पॉपुलैरिटी का फायदा उठाने की कोशिश बीजेपी ने अन्य राज्यों में भी की. छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में इन नेताओं की सभा में दिखी भीड़ ने बीजेपी के इस प्लान को सफलता की झलकियां भी दी. 


राजनाथ से ज्यादा सभा सरमा की, आखिर क्या है BJP की मंशा


अब बीजेपी पूर्वोत्तर के इस क्षत्रप का इस्तेमाल मध्य भारत के राज्यों में भी बखूबी कर रही है. 8 से 13 नवंबर के बीच हिमंत बिस्वा सरमा ने मध्य प्रदेश के चार दौरे किए और 15 रलियों को संबोधित किया. जबकी बीजेपी के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह ने सिर्फ 12 रैलियां ही कीं. ये तो हो गई बात पार्टी में बढ़ते उनके कद की. अब देखते हैं कि बीजेपी ने किन-किन इलाकों में सरमा को भेजा और उनके दौरों के जरिए पार्टी की मंशा क्या रही.


हिमंत बिस्वा सरमा ने मध्य प्रदेश के मंधाता, पंढाना, खंडवा, खिचलीपुर, सारंगपुर, खुजनेर, नरसिंहगढ़, नर्मदापुरम, सिवनी मालवा, हुजूर, बागली और खातेगांव में सभा कीं. इन विधानसभाओं में मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी संख्या में है और यहां पिछले कुछ वर्षों के दौरान सांप्रदायिक तनाव के छिटपुट मामले सामने आए हैं. खंडवा तो प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) को कई रंगरूट मुहैया कराने को लेकर सुर्खियों में रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ के बालोद बाजार में बीजेपी उम्मीदवार टंकराम वर्मा के लिए प्रचार करते वक्त तो सरमा ने मंच से कहा था कि उन्होंने असम में 700 मदरसे बंद करवाए.


हिंदुत्व के नए पोस्टर बॉय हिमंत बिस्वा सरमा की बढ़ रही डिमांड


उन्होंने भूपेश बघेल सरकार पर धर्मांतरण को इजाजत देकर राज्य में सनातन को कमजोर करने का आरोप भी लगाया. बीजेपी राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ लगातार मुखर रही है. और अगर सरमा की सभाओं की मेजबानी करने वाली विधानसभाओं को देखा जाए तो इसमें बीजेपी की वो रणनीति साफ दिखाई देती है, जिसमें सरमा को हिंदुत्व के नए चेहरे के तौर पर पेश किया जा रहा है. 


सरमा ने जंजगीर चंपा के अकलतारा में रोड शो भी किया था, जबकि उस इलाके में असमियां आबादी न के बराबर है. इस सीट से मौजूदा विधायक सौरभ सिंह सिसोदिया का तो ये कहना है कि हिंमंत बिस्वा सरमा की राज्य में बहुत डिमांड है. कई वोटर्स उन्हे हिंदू ह्रदय सम्राट बताते हैं और इसी लिए वो उन्हें सुनना भी चाहते हैं. योगी आदित्यनाथ को संन्यासी और संत की नजर से हिंदुत्व का पोस्टर बॉय माना जाता है तो सार्वजनिक जीवन में रहकर हिंदुत्व की राजनीति करने वाले हिमंत बिस्वा सरमा भी अपनी नई पहचान गढ़ रहे हैं.


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