जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने शहर में सड़क किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर अवैध रूप से बने धार्मिक स्थल नहीं हटाने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई है.कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई के पहले तक यदि नियम विरुद्ध बने स्थलों को नहीं हटाया गया,तो सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय होंगे.मामले पर अगली सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में होगी.


अदालत ने क्या कहा है


कोर्ट ने बेहद तल्ख शब्दों में कहा कि सरकार इस मामले में बार-बार समय लेने के अलावा कुछ नहीं कर रही है.चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने कलेक्टर व निगमायुक्त के उस आवेदन को भी निरस्त कर दिया, जिसमें पूर्व आदेश के पालन के लिए अतिरिक्त मोहलत मांगी गई थी.मामले पर अगली सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में होगी.


अधिवक्ता सतीश वर्मा ने बताया कि इस मामले में एक अवमानना याचिका 2014 से लंबित है.अभी तक सड़क किनारे और सरकारी जमीन पर बने कई धार्मिक स्थल (मंदिर व मजार) नहीं हटाए गए हैं.सतीश वर्मा ने आरोप लगाया कि अधिकारी राजनीतिक दबाव में कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.


क्या है पूरा मामला


पिछली सुनवाई के दौरान सड़क चौड़ीकरण और यातायात में बाधक 64 धार्मिक स्थलों की सूची पेश की गई थीं. बताया गया कि जिन निर्माणों की सूची पेश की गई है,उनमें से कुछ मास्टर प्लान , फुटपाथ निर्माण, पौधारोपण, स्मार्ट सिटी, फ्लाईओवर और नाली निर्माण में बाधक हैं, इसलिए उन्हें हटाना बहुत जरूरी है.याचिकाकर्ता ने बताया कि ओमती में मशीन वाले बाबा की मजार, मालवीय चौक स्थित जैन स्तंभ, हनुमान मंदिर दमोहनाका, गोकलपुर सहित लंबे समय से यातायात में बाधक बन रहे बहुत से धार्मिक स्थलों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.यह भी बताया गया कि विजय नगर व सिविल लाइन थाने के अंदर नए मंदिर बनवाए जा रहे हैं.


याचिका पर सुनवाई के दौरान कैंट बोर्ड और रेलवे की ओर से बताया गया कि छावनी क्षेत्र में बचे हुए धर्म स्थल हटाने के लिए बार-बार लिखा गया,लेकिन जिला प्रशासन ने समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल नहीं दिया.


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