Gwalior Boy Drone Invention: ग्वालियर में सिंधिया स्कूल के एक छात्र ने कमाल कर दिखाया है. उसने कड़ी मेहनत के बल पर अनूठा ड्रोन बनाने में सफलता हासिल की. ड्रोन को एक व्यक्ति बैठकर उड़ सकता है. फोर्ट में स्थित सिंधिया स्कूल के मेघावी छात्र का नाम मेधांश त्रिवेदी है. मेधांश त्रिवेदी ड्रोन का सफल परीक्षण भी कर चुका है. होनहार छात्र को सफलता तीन महीने की मशक्कत के बाद मिली. ड्रोन को तैयार करने में करीब साढे़ तीन लाख रुपये का खर्च आया. 

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एमएलडीटी 1 की जानें विशेषता

  • फिलहाल 4 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम
  • 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से मंजिल तक पहुंच सकता है
  • अनूठे ड्रोन की चौड़ाई 1.8 मीटर और लंबाई 1.8 मीटर है
  • ड्रोन में करीब 45 हॉर्स पावर से ज्यादा की क्षमता
  • 80 किलो वजन को लेकर 6 मिनट तक हवा में भर सकता उड़ान

इंटर के छात्र ने किया कमाल

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मेधांश ने अनूठे ड्रोन को एमएलडीटी 1 नाम दिया है. होनहार छात्र ने बताया कि चीन के ड्रोन देखकर मन मे भी कुछ अलग करने का विचार आया. टीचर मनोज मिश्रा ने विचार को मूर्त रूप देने में छात्र को प्रोत्साहित किया. मेधांश का कहना है कि तकनीकी रूप से भी टीचर ने मदद की. छात्र का सपना अब एयर टैक्सी कंपनी शुरू करने का है. उसने लोगों के लिए सस्ता हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध कराने की मंशा जताई है. ड्रोन बनाने के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. आखिरकार शिक्षक और परिवार की मदद से छात्र सपने को साकार करने में सफल हुआ.

एमएलडीटी 1 सामान्य ड्रॉन से एकदम अलग है. सिंधिया स्कूल के स्थापना दिवस समारोह पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और इसरो चीफ एस सोमनाथ ने मेधांश के इनोवेशन की जी खोलकर प्रशंसा की थी. मेधांश ने बताया कि ड्रोन बिना व्यक्ति के चार किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. हालांकि सुरक्षा के चलते 10 मीटर तक ही उड़ा रहे हैं. छात्र ने बताया कि फंडिंग की व्यवस्था होने पर ड्रोन को हाइब्रिड मोड पर लॉन्च करने का काम होगा. अभी एमएलडीटी 1 में एग्रीकल्चर ड्रोन की चार मोटर लगा है.

ऐसे मिली ड्रोन बनाने की प्रेरणा 

मेधांश वर्तमान में सिंधिया स्कूल के इंटर का छात्र है. छात्र का कहना है कि आने वाले समय में आम लोगों के काम आने वाले ड्रोन का निर्माण भी होगा. ड्रोन का इस्तेमाल सामान दूसरी जगह पहुंचाने और एग्रीकल्चर में किया जा सकेगा. टीचर मनोज मिश्रा मेधांश की तारीफ करते हैं. उन्होंने बताया कि मेधांश कक्षा 7 से नए-नए आविष्कार के बारे में जानकारी लेता रहता था.

मकसद कुछ अलग करने की थी. उन्होंने बताया कि खुद भी मॉडल तैयार करते हैं. मॉडल और चीन के मानव ड्रोन को देखने के बाद मेधांश को ड्रोन बनाने की प्रेरणा मिली. मेधांश की प्रतिभा को देखकर स्कूल के स्टाफ भी मदद को आगे आए हैं. बता दें कि सिंधिया स्कूल का संचालन सिंधिया राज परिवार करता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया स्कूल के संरक्षक हैं. 

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