Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए निगम, राज्य शासन जो भी कार्य कर रहे हैं, ना केवल उसकी निगरानी बल्कि उसे और प्रभावी तरीके से करने के लिए सोशल ऑडिट किया जाएगा. ग्वालियर के इतिहास में ये पहला अवसर होगा, जब किसी प्रोजेक्ट को लेकर नगर निगम अधिनियम में दिए सोशल ऑडिट के विचार को धरातल पर लाया जाएगा.

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस हिरदेश की डिवीजन बेंच की ये मंशा है कि सोशल ऑडिट के लिए एक कमेटी का निर्माण किया जाए, जिसमें वित्त, पर्यावरण,टेक्नोलॉजी और समाजशास्त्र के विशेषज्ञ शामिल हों. हाईकोर्ट ने ऐसे विशेषज्ञों के नाम सुझाने के लिए न्याय मित्र के साथ ही निगम व अन्य वकीलों को कहा है.

ग्वालियर के लोग भी दे सकेंगे सुझावइस कमेटी को ग्वालियर के लोग भी सुझाव दे सकेंगे. उनके माध्यम से ये सुझाव अधिकारियों तक पहुंचाए जाएंगे. बता दें कि हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग की गई है. अगली सुनवाई 7 मई को होगी.

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क्या है इसके पीछे कोर्ट की मंशा?दरअसल, हाईकोर्ट का ये मानना है कि अधिकारी कुछ समय के लिए ही जिले में पदस्थ होते हैं. ऐसे में कई बार वे शहर की सांस्कृतिक- पारंपरिक पहलुओं या शहर की सामाजिक संस्कृति पर ध्यान नहीं दे पाते. जबकि प्रत्येक शहर में उसकी परंपरा-संस्कृति गूंजती है और शहरवासी इससे भलीभांति जुड़े होतेहैं. ऐसे में आमजन को सोशल ऑडिट में शामिल कर उनकी सहभागिता को सुनिश्चित किया जा सकेगा.

क्या है सोशल ऑडिट?सोशल ऑडिट में स्थानीय लोगों को शामिल कर एक समूह बनाया जाता है. इस समूह का काम नगरीय प्राधिकारी द्वारा लागू की गई योजना, कार्यक्रम,नीति के प्रभाव की समीक्षा करना होता है. हाईकोर्ट ने नगर निगम अधिनियम में दिए गए प्रावधान का हवाला देते हुए कहा, "आमजन के लिए ये एक बेहद ही महत्वपूर्ण टूल है. जिसके माध्यम से आमजन नीति, योजना के निर्धारण में महती भूमिका निभा सकते हैं."