मध्य प्रदेश सरकार ने अभी तक एक भी फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित नहीं किया है. ये जानकारी लोकसभा के पिछले मानसून सत्र में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के जवाब से पता चलता है. इसके साथ ही मंत्रालय के जवाब से ये भी पता चलता है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश ही दो ऐसे बड़े राज्य हैं जहां शून्य फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTC) है. यह तब है जब मध्य प्रदेश में 133 और राजस्थान में 93 प्रस्तावित FTC हैं.


बता दें कि फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTCs) जघन्य अपराधों के साथ वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों, विकलांगों और एचआईवी-एड्स और अन्य लाइलाज बीमारियों से प्रभावित वादियों से जुड़े दीवानी मामलों के निपटान में तेजी लाने के लिए हैं. इन कोर्ट में भूमि अधिग्रहण और पांच साल से ज्यादा समय से लंबित संपत्ति / किराए के विवादों से जुड़े नागरिक विवादों का भी निपटारा करता है. गौरतलब है कि ये अदालतें 11वें वित्तीय आयोग के दौरान स्थापित की गई हैं.


एमपी HC और राज्य सरकार ने कई विशेष अदालतें नोटिफाई की हैं


गृह, जेल, कानून और संसदीय मामलों के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने टीओआई को बताया, "यह सही है कि राज्य में कोई फास्ट ट्रैक कोर्ट अधिसूचित नहीं हैं. एफटीसी का शाब्दिक अर्थ मामलों के तेजी से निपटान के लिए है."मंत्री ने कहा, "हालांकि राज्य में कोई एफटीसी अधिसूचित नहीं है, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और राज्य सरकार ने समर्पित मामलों की सुनवाई के लिए कई स्पेशल कोर्ट को अधिसूचित किया है."


पोक्सो एक्ट से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए 67 कोर्ट हैं


मंत्री ने आगे बताया कि, "राज्य में, पोक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए 67 विशेष अदालतें अधिसूचित हैं. इसी तरह, राज्य में कमर्शियल मामलों की सुनवाई के लिए सत्र अदालतों के स्तर पर पांच और सिविल जज स्तर पर सात ऐसी अदालतें हैं."


इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि राज्य में बिजली से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए 50 विशेष अदालतों और समर्पित अदालतों को भी अधिसूचित किया गया है. ये सभी कोर्ट अपराध के लिए एफटीसी के रूप में कार्य करते हैं जिसके लिए इन्हें स्थापित किया गया है. इन अदालतों ने केवल इन्ही मामलों की सुनवाई के कारण केसों का जल्द निपटारा किया."


एमपी में 200 FTC की जरूरत 


वहीं मंत्रालय का जवाब दिखाता है कि 14वें वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि स्थापित होने वाले एफटीसी की संख्या राज्य के न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत शक्ति का 10% होनी चाहिए. एमपी को न्यायिक अधिकारियों के लिए 2021 की स्वीकृत शक्ति के वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार लगभग 200 FTC की जरूरत होती है.


वहींआयोग ने 2015-2020 के दौरान 1800 एफटीसी की स्थापना की सिफारिश की थी. लेकिन देश में 956 कार्यात्मक फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं.


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