आजकल के शादी समारोह बेहद खर्चीले और दिखावे वाले हो गए हैं. इसमें न तो किसी को महंगाई की फिक्र होती है और ना पर्यावरण की और न संस्कृति की. लेकिन बैतूल (Betul) में एक डॉक्टर ने समाज को एक अनूठा संदेश देने की कोशिश की है. उन्होंने अपनी शादी का समारोह गांव में आयोजित किया. उनकी बारात बैलगाड़ी से निकली. इस डॉक्टर का कहना है कि अपने सामाजिक-संस्कृतिक मूल्यों (Social Cultural Value) को सहेजने और महंगाई के दौर में सादा जीवन उच्च विचार का संदेश देने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था.


बैलगाड़ी से बारात निकालकर क्या संदेश दिया


बैलगाड़ी से बारात लेकर जाने वाले डॉक्टर का नाम राजा धुर्वे है. वो बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य गाँव असाढ़ी के रहने वाले हैं. डॉ राजा धुर्वे ने दुल्हे राजा के अवतार में समाज को कभी ना भूलने वाला संदेश दिया. अपनी दुल्हनिया को लेने के लिए वो सजी-धजी बैलगाड़ी में बारात लेकर निकले.


बैलगाड़ी को सजाया भी ऐसा गया जिसके सामने लग्जरी कार और बग्घियां भी फीकी नजर आतीं. डॉक्टर राजा एमबीबीएस डॉक्टर, शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. डॉक्टर राजा के मुताबिक महंगाई के इस दौर में बैलगाड़ी सबसे सस्ता सुलभ और प्रदूषणमुक्त साधन है. इसके साथ ही बैलगाड़ी ग्रामीण सभ्यता और संस्कृति की पहचान भी है. इसलिए अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फैसला किया.


तीन किलोमीटर दूर गई थी बारात


डॉक्टर राजा धुर्वे की बैलगाड़ी को खास जनजातीय लोक कलाओं से सजाया गया था. दूल्हे की बैलगाड़ी के पीछे बैलगाड़ियों में बच्चों और महिलाओं को बैठाया गया था. बारात में जनजातीय लोक नृत्य और लोक वाद्य शामिल थे जो आज किसी शादी में देख पाना दुर्लभ है. ग्राम असाढ़ी से बैलगाड़ी में निकले दुल्हे मिया 3 किलोमीटर दूर दूधिया गाँव में अपनी दुल्हनियां को लेने पहुंचे तो लोग झूम उठे. 


डॉक्टर राजा धुर्वे का कहना है, "अपने सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन उच्च विचार रखने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था."


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