मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत सोमवार (15 सितंबर) को राजगढ़ से असम के कामाख्यादेवी मंदिर के दर्शन के लिए एक विशेष ट्रेन रवाना होगी. इस यात्रा में खिलचीपुर से बीजेपी विधायक हजारीलाल दांगी की दोनों पत्नियों और बीजेपी की वरिष्ठ नेता इंद्रा मूंडड़ा का नाम शामिल किया गया है. इसको लेकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन की निगाह में ये गरीब हैं.

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प्रियव्रत सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना गरीबों के लिए बनाई गई थी, लेकिन इसमें बीजेपी नेताओं और उनके परिजनों का नाम शामिल करना चिंता का विषय है. उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर ट्वीट करते हुए लिखा है, "मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में राजगढ़ जिले से चयनित सूची में गरीब जनता की जगह बीजेपी के नेताओं और उनकी पत्नियों के नाम जोड़े गए हैं. प्रशासन की निगाह में शायद ये लोग सबसे गरीब हैं. मजे की बात यह है कि इनमें से कई पहले भी यह यात्रा कर चुके हैं."

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'गरीबों की योजना में बीजेपी विधायक की पत्नी भी'

प्रियव्रत सिंह ने एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा गरीब लोगों के लिए बनाई गई है. बेशक मैंने जांच की, मेरे पास एक सूचना आई कि उसमें विधायक जी की पत्नी ज्योत्सना दांगी जी का नाम भी शामिल है. दूसरे नाम पर लिखा है, सरदारबाई पत्नी हजारीलाल दांगी, निवासी-काशीखेड़ी. एक का लिखा है, निवासी-जीरापुर. बहुत बढ़िया है. मैंने पूछा, क्या ये महिलाएं जा सकती हैं? कांग्रेस नेता ने खड़े किए सवाल

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, "उन्होंने बोला साहब, आयकरदाता का नियम है, आयकरदाता नहीं होना चाहिए. हो सकता है, सरदारबाई आयकरदाता न हो, तो मान सकता हूं. ज्योत्सना जी, जो पहले शासकीय सेवा में थीं, हो सकता है कि उनकी पेंशन अगर 12 लाख रुपये से कम आ रही हो, तो वे आयकरदाता की श्रेणी में नहीं आतीं." 

प्रियव्रत सिंह ने ये भी कहा, "प्रमुख व्यवसायी इंद्रा मुंडड़ाजी का नाम भी है, जो भारतीय जनता पार्टी की पदाधिकारी हैं. एक हैरानी की बात यह भी है कि क्या माननीय विधायक जी, जो स्वयं विधायक हैं और मुझे पूरा पक्का पता है कि वे आयकरदाता हैं, आयकरदाता होने के बाद भी अपनी पत्नी को सरकारी योजना में शामिल कर तीर्थ यात्रा पर ले जाएंगे. क्या उनका जमीर गवाही देता है."

'सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता हो'

प्रियव्रत सिंह ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत आलोचना नहीं करना है, बल्कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता व न्यायसंगत उपयोग की बात करना है. उन्होंने कहा, "अगर नियमों के अनुसार सही है तो ठीक है, लेकिन यदि गड़बड़ी हुई है तो जिम्मेदारों को जवाब देना चाहिए. यह विषय केवल सियासी नहीं, सामाजिक न्याय का भी मामला बन चुका है."