Tourist Places of Chitrakoot: श्रीराम ने वनवास के दौरान 11 साल देवी सीता और लक्ष्मण के साथ इसी स्थान पर बिताया था. इसके अलावा भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) ने यहीं पर माता अनुसुइया की कोख से जन्म लिया था. रामचरित मानस की रचना करने वाले महर्षि तुलसीदास का जन्म चित्रकूट में ही हुआ था. 


पर्यटकों को यह स्थान काफी पसंद आता है. चित्रकूट में कई धार्मिक दर्शनीय स्थल है. यहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. अगर आप भी इस पवित्र स्थान की यात्रा करने चाहते हैं तो इन स्थानों पर जाना न भूलिएगा.


जानकी कुंड


चित्रकूट से 3 किलोमीटर की दूरी पर जानकी कूंड स्थित है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवी सीता यहां प्रतिदिन स्नान करती थीं. यह खूबसूरत घाट मंदाकिनी नदी के किनारे बना हुआ है.  यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं.  


गुप्त गोदावरी


प्रकृति से लगाव रखने वाले पर्यटकों को यह स्थान काफी पसंद आएगा. चित्रकूट शहर से गुप्त गोदावरी की दूरी तकरीबन 18 किलोमीटर है. यहां पर दो गुफाएं हैं. पहली गुफा चौड़ी और ऊंची है जबकी दूसरा गुफा लंबी और संकरी है. इसमें हमेशा पानी बहता रहता है. गुफा के अंत में एक तालाब है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां भगवान राम का दरबार लगता था. 


रामघाट चित्रकूट


मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट बना हुआ है. इस घाट के दोनों तरफ मंदिर बने हुए हैं. यहां पर्यटक नौका विहार का आनन्द लेते हैं. यहां तुलसीदास की भी प्रतिमा स्थापित है. यहां हर शाम 6 बजे मदाकिनी नदी की आरती होती है. 


भरत-मिलाप मंदिर


परम कुटीर के पास भरत-मिलाप मंदिर स्थित  है. इसी स्थान पर भगवान राम ने अपने भाई भरत से मुलाकात की थी. यहां भगवान राम के पद चिन्हों के निशान आज भी देखने को मिलते हैं.


स्टफिक शिला


मंदाकिनी नदी के किनारे स्टफिक शिला स्थित है यहां भगवान श्री राम के पैरो के निशान देखने को मिलते हैं. मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने देवी सीता का यहीं पर श्रृंगार किया था.


कादमगिरी पर्वत


पर्यटकों के लिए कामदगिरी पर्वत खास है. इस पर्वत पर हरे-भरे खूबसूरत पेड़ है. यहां भगवान ब्रह्मा ने 108 अंग्नि कुंडों के साथ हवन किया था.


शबरी जल प्रपात 


चित्रकूट के खूबसूरत पर्यटक स्थलों में से एक शबरी जल प्रपात है. यह मारकुंडी गांव से 9 किलोमीटर और चित्रकूट धाम से तकरीबन 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. घने जंगलों से मंदाकिनी नदी का पानी झरने का रूप ले लेता है.


हनुमान धारा


हनुमान धारा बांदा जिले के कर्वी तहसील से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां हनुमान की प्रतिमा के सामने दो जलकुंड स्थित  है. इस जल कुंड का पानी हनुमान की प्रतिमा को स्पर्श करते हुए बहता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक हनुमान ने लंका में आग लगाने के बाद अपनी पूंछ की आग को बुझाने के लिए इस स्थान पर आए थे.   


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