झारखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने एक दिन पहले अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायमूर्ति राजेश कुमार के साथ कथित तौर पर नोकझोंक करने के लिए अधिवक्ता महेश तिवारी को शुक्रवार को आपराधिक अवमानना का ​​नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय, न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की पीठ ने बृहस्पतिवार को अदालत संख्या 24 में हुई नोकझोंक का संज्ञान लेते हुए तिवारी के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की.

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पीठ के समक्ष पेश हुए तिवारी से मुख्य न्यायाधीश ने पिछली कार्यवाही के दौरान उनके आचरण के बारे में स्पष्टीकरण मांगा. इसके जवाब में अधिवक्ता ने कहा कि वह अपने कृत्य पर कायम हैं. उन्होंने पीठ से कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा या किया, वह अपने होशो-हवाश में किया था. इसके बाद पूर्ण पीठ ने तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​नोटिस जारी करके उन्हें तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

क्या था पूरा मामला ?

बता दें कि 16 अक्टूबर को अधिवक्ता महेश तिवारी अपने मुवक्किल के बिजली कनेक्शन बहाली के मामले में जस्टिस राजेश कुमार के समक्ष बहस कर रहे थे. मुवक्किल पर बकाया बिलों के कारण कनेक्शन काटा गया था. तिवारी ने कोर्ट को बताया कि उनका क्लाइंट 25,000 रुपये जमा करने को तैयार है.,लेकिन जस्टिस कुमार ने एक न्यायिक मिसाल का हवाला देते हुए कहा कि कुल बकाया का 50% (50,000 रुपये) जमा करना जरूरी है.

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वकील ने सहमति जताई और मामला सुलझ गया। लेकिन विवाद तब भड़का जब अगले केस की सुनवाई शुरू हुई. जज ने तिवारी की बहस शैली पर टिप्पणी की, जिससे वकील भड़क गए. तिवारी ने कथित तौर पर जज को ‘लिमिट क्रॉस न करें’ (सीमा पार न करें) कहकर चेतावनी दी. इस तीखी बहस का वीडियो वायरल हो गया.

11 नवम्बर को होगी सुनवाई

मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को फिर से होगी. कार्यवाही शुरू होने से पहले अदालत संख्या 24 में 16 अक्टूबर को न्यायमूर्ति राजेश कुमार की अदालती कार्यवाही की एक वीडियो रिकॉर्डिंग मुख्य न्यायाधीश की अदालत में दिखाई गई. वीडियो रिकॉर्डिंग में अधिवक्ता महेश तिवारी और न्यायमूर्ति राजेश कुमार के बीच तीखी नोकझोंक दिखी. यह वीडियो यूट्यूब और व्हाट्सऐप सहित अन्य सोशल मीडिया मंच पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया.