Jharkhand Gandey By-Poll 2024: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी प्रमुख हेमंत सोरेन (Hemant Soren) जेल में हैं. अब हेमंत सोरेन की जगह उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन (Kalpana Soren) चुनावी संग्राम में पार्टी का मोर्चा संभालने खुलकर सामने आ चुकी हैं. वह प्रदेश की गांडेय विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में झामुमो की प्रत्याशी होंगी. कल्पना सोरेन की सियासत में लॉन्चिंग के लिए झामुमो नेतृत्व गांडेय को सेफ सीट मान रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां उन्हें बीजेपी की तरफ से कड़ी चुनौती मिलेगी.


कल्पना सोरेन के लिए यह लड़ाई कितनी चुनौतीपूर्ण है, यह पिछले चुनाव के वोटों के हिसाब-किताब और यहां के अब तक के इतिहास से साफ पता चलता है. इस सीट पर 1977 से लेकर अब तक का चुनावी इतिहास यह है कि यहां पांच बार झामुमो, दो बार कांग्रेस, दो बार बीजेपी और एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है. गांडेय विधानसभा किसी एक पार्टी का अभेद्य किला नहीं है. झामुमो की चुनावी सफलता की दर सबसे ज्यादा जरूर है, लेकिन बीजेपी ने भी हाल के सालों में यहां खासा दम दिखाया है और दो बार जीत का परचम भी लहराया है.


क्या कहते हैं पिछले आंकड़े?
2019 के चुनाव में यहां झामुमो के प्रत्याशी डॉक्टर सरफराज अहमद ने 65 हजार 23 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी. दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी के जयप्रकाश वर्मा को 56 हजार 168 वोट मिले थे. इस प्रकार वह 8,855 वोटों से पिछड़ गए थे. तीसरे स्थान पर रहे आजसू पार्टी के प्रत्याशी अर्जुन बैठा को 15,361 वोट मिले थे. अब बीजेपी और आजसू पार्टी एक ही अलायंस का हिस्सा हैं. अगर इन दोनों के वोट जोड़ दें, तो वह झामुमो प्रत्याशी को मिले वोट से करीब छह हजार ज्यादा हैं.


इस बार बीजेपी ने दिलीप कुमार वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. वह पिछली बार बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के प्रत्याशी थे और उन्हें 8,952 वोट मिले थे. अब बाबूलाल मरांडी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और जेवीएम का बीजेपी में विलय हो चुका है. ऐसे में जाहिर है कि पिछले चुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारने वाली बीजेपी, आजसू और जेवीएम तीनों के वोट एक साथ इकट्ठा हो जाएं, तो झामुमो की कल्पना सोरेन के लिए राह आसान नहीं होगी.


हालांकि, बीजेपी की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जाने पर आजसू ने नाराजगी जाहिर की है. आजसू नेताओं का कहना है कि प्रत्याशी घोषित करने के पहले उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया. पिछले चुनाव में आजसू प्रत्याशी रहे अर्जुन बैठा भी चुनाव मैदान में उतरने पर अड़े हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अंत में बीजेपी का नेतृत्व आजसू को मना लेगा.


मुस्लिम आबादी के भरोसे झामुमो? 
दूसरी तरफ झामुमो के रणनीतिकारों को इस सीट पर मुस्लिम और आदिवासी की बड़ी आबादी के आधार पर बनने वाले मजबूत समीकरण पर भरोसा है. इस सीट से इस्तीफा देने वाले डॉक्टर सरफराज अहमद को झामुमो ने राज्यसभा भेज दिया है. इससे यह माना जा रहा है कि झामुमो प्रत्याशी कल्पना सोरेन को मुस्लिमों का भरपूर समर्थन मिलेगा. आदिवासियों को झामुमो पहले से अपना परंपरागत वोटर मानता है. कुल मिलाकर लड़ाई न तो एकतरफा है और न ही आसान है. इस सीट पर जीत-हार से तय होगा कि राजनीति के मैदान में कल्पना सोरेन के पांव कितनी मजबूती से टिक पाएंगे.



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