Jharkhand News: बोकारो में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान धनघरी में बुधवार की अहले सुबह विस्थापितों और जिला प्रशासन के बीच में झड़प हो गई. इस दौरान ग्रामीणों द्वारा पत्थरबाजी की गई जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए रबड़ बुलेट से फायरिंग की. इस घटना में 6 पुलिसकर्मी सहित दो दर्जन लोग घायल हुए हैं. इस झड़प में सेक्टर-9 के थानेदार संतोष कुमार भी पत्थर लगने से घायल हुए हैं.


ग्रामीणों ने पुलिस पर लगाया दमनात्मक कार्यवाही का आरोप
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर दमनात्मक कार्रवाई की. पुलिस ने लोगों के साथ मारपीट की. ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि महिला पुलिस के रहने के बावजूद पुरुष पुलिस जवान घर में घुस आए और महिलाओं के साथ मारपीट की.


क्या है ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि 2013 के भूमि अधिग्रहण के नियम के मुताबिक उन्हें मुआवजा दिया जाए. उन्होंने कहा कि हम इसी मांग को लेकर धरना दे रहे थे, तभी पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंची और लोगों के साथ मारपीट शुरू कर दी.


चास एसडीएम बोले-  हल्का बल प्रयोग हुआ
चास के एसडीएम दिलीप प्रताप सिंह शेखावत ने हल्का बल प्रयोग करते हुए 5 राउंड रबर बुलेट फायरिंग करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि लोग उग्र हो गए थे, लिहाजा स्थिति को संभालने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा.


क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, बोकारो धनघरी के विस्थापित लोग तुपकाडीह-तलगड़िया रेलवे लाइन के दोहरीकरण के कार्य को रोक रहे थे. उपायुक्त कुलदीप चौधरी के नेतृत्व में प्रशासन ने बुधवार की अहले सुबह विस्थापितों से जमीन खाली करवाना शुरू कर दिया जिसका विरोध स्थानीय करने लगे और देखते ही देखते उग्र ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया.


उपायुक्त कुलदीप चौधरी और एसपी चंदन कुमार झा कैंप में मौजूद थे. रेल मार्ग की परियोजना को पूरा करने के लिए लंबे समय से प्रशासन पर दबाव था. कई दौर की वार्ता के बाद भी विस्थापित अपनी जिद पर अडे़ हुए थे. जब बातचीत से वे वहां से नहीं हटे तो मजबूरन प्रशासन ने बुधवार सुबह यह कार्रवाई की. बता दें कि तुपकाडीह से तालगड़िया के बीच रेलवे लाइन के दोहरीकरण का काम बीते तीन साल से चल रहा है. 95 प्रतिशत काम पूरा भी हो चुका है.


बीते साल 24 सितंबर को प्रशासन के सहयोग से रेलवे ने 16 मकानों को ध्वस्त कर रेलवे लाइन का रास्ता भी साफ कर दिया था. इसके बाद से गांव के लोग लगातार धरना दे रहे थे. जब भी रेलवे के कर्मी काम करने पहुंचते ग्रामीण मुआवजे की मांग को लेकर विरोध करते थे.


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