हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने आतंकवाद से जुड़े पुराने मामलों में लोगों को गिरफ्तार करने के J&K सरकार के फैसले पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि इस कार्रवाई का मकसद उन लोगों को परेशान करना है जिन्होंने बहुत पहले हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. यह बयान J&K के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के उस बयान के मुश्किल से 24 घंटे बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार केंद्र शासित प्रदेश (UT) में न्याय पक्का करने के लिए आतंकवाद से जुड़े सभी मामलों को फिर से खोलेगी. सिन्हा ने यह बयान जम्मू डिवीजन में आतंकवाद के शिकार लोगों के 41 रिश्तेदारों को अपॉइंटमेंट लेटर देते हुए दिया और ऐसे मामलों में न्याय दिलाने का वादा किया.
'दशकों पुराने मामलों में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा'
श्रीनगर की जामा मस्जिद में शुक्रवार (12 दिसंबर) की सभा में बोलते हुए मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि लोगों में इस बात को लेकर गहरी चिंता है कि दशकों पुराने मामलों में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है. मीरवाइज ने अपने भाषण में कहा, "इससे बहुत चिंता और अनिश्चितता पैदा हुई है, खासकर उन लोगों और उनके परिवारों में जो बहुत पहले ही अपने पुराने रास्तों से अलग हो चुके हैं."
मीरवाइज ने लगाई सरकार से इंसाफ की गुहार
उन्होंने सरकार से न्याय और हमदर्दी वाला रवैया अपनाने की मांग करते हुए कहा कि पहले से ही हज़ारों कश्मीरी कैदी J&K और उसके बाहर की जेलों में सड़ रहे हैं, कुछ तो दशकों से, जिससे उनके परिवारों को बहुत तकलीफ़ हो रही है, और ज्यादा लोगों को गिरफ्तार करने से कश्मीरियों की परेशानियां और दर्द और बढ़ रहा है.
मानवीय और कानूनी चिंताओं का जिक्र
केंद्र शासित प्रदेश के बाहर की जेलों में कश्मीरियों के लगातार बंद रहने से पैदा होने वाली गंभीर मानवीय और कानूनी चिंताओं की ओर ध्यान दिलाते हुए, मीरवाइज ने कहा, ''इस तरह के तरीकों से अक्सर ट्रायल की कार्रवाई में देरी होती है और परिवार तक पहुंच बहुत कम हो जाती है, जो इंसानियत और कुदरती न्याय के बुनियादी उसूलों के खिलाफ है.''
हिरासत में लिए लोगों को J&K ट्रांसफर करने की अपील
राज्य सरकार से दखल देने की अपील करते हुए, मीरवाइज ने ऐसे पुराने मामलों को संभालने के तरीके का रिव्यू करने को कहा और हिरासत में लिए गए लोगों को वापस जम्मू और कश्मीर ट्रांसफर करने की अपील की, ताकि न्याय का प्रोसेस ज़्यादा सही, तेज़ और ज़्यादा दयालु हो सके. उन्होंने उनसे दखल देने और उन लोगों की गिरफ्तारी और हिरासत के लिए लगातार चल रहे प्रोसेस को रोकने की भी अपील की, जो आगे बढ़ चुके हैं और दशकों से किसी भी तरह की हिंसा से जुड़े नहीं हैं.