लद्दाख में बनेगा नया नक्शा, 5 नए जिलों के गठन की तैयारी तेज, वित्त मंत्रालय से मंजूरी का इंतजार
Ladakh News: लद्दाख प्रशासन ने 5 नए जिलों शाम, नुब्रा, चांगथांग, ज़ांस्कर और द्रास के गठन के लिए वित्त मंत्रालय से मंजूरी मांगी है। मंजूरी मिलने पर कुल 7 जिले हो जाएंगे.

लद्दाख में प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने और स्थानीय मांगों को पूरा करने की दिशा में काम शुरू हो गया है. लद्दाख प्रशासन ने केंद्र सरकार से 5 नए जिलों के लिए पदों के सृजन की औपचारिक मंजूरी मांगी है. ये नए जिले शाम, नुब्रा, चांगथांग, ज़ांस्कर और द्रास बनने के बाद लद्दाख में कुल जिलों की संख्या दो से बढ़कर 7 हो जाएगी.
MHA से मंजूरी के बाद भी एक साल की देरी
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने अगस्त 2024 में ही इन नए जिलों के गठन को मंजूरी दे दी थी. लेकिन, एक साल से ज़्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद जिलों का औपचारिक गठन नहीं हो पाया है.
इस देरी को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है. यही वजह है कि हाल ही में होने वाले लेह ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC) के चुनाव भी टाल दिए गए. अधिकारियों का कहना है कि यह देरी प्रशासनिक प्रक्रियाओं और पदों के सृजन में अटकी फाइलों की वजह से है.
वित्त मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव
लद्दाख के यूनियन टेरिटरी प्रशासन ने अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व वाले वित्त मंत्रालय को एक औपचारिक पत्र भेजा है. इस पत्र में नए जिलों के लिए डिप्टी कमिश्नर (DC), SSP और अन्य अधिकारियों समेत बड़ी संख्या में पदों की मंजूरी मांगी गई है.
अधिकारियों के मुताबिक, जैसे ही वित्त मंत्रालय से हरी झंडी मिलती है, नए जिलों के गठन की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ेगी. उन्होंने यह भी बताया कि इतने ज़्यादा नए पद बनने से UT के सैलरी बजट पर असर पड़ेगा, इसलिए वित्त मंत्रालय की अनुमति जरूरी है.
कैसे बनेंगे नए जिले
लद्दाख के मौजूदा दो जिले लेह और कारगिल को पुनर्गठित करके 5 नए जिले बनाए जाएंगे. शाम, नुब्रा और चांगथांग ये तीनों लेह जिले से अलग होंगे. जांस्कर और द्रास ये दो कारगिल जिले से बनाए जाएंगे.
26 अगस्त 2024 को UT प्रशासन ने इन जिलों की घोषणा की थी. इसके बाद एक समिति बनाई गई थी जो सीमाओं, मुख्यालयों, बुनियादी ढांचे और जरूरी पदों पर अपनी सिफारिशें देने के लिए गठित की गई थी. यह समिति अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, और अब प्रशासन ने उस रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए दूसरी समिति बनाई है.
हर नए जिले में एक-एक डिप्टी कमिश्नर, एसएसपी, राजस्व अधिकारी, पुलिस बल, और उनके अधीनस्थ स्टाफ की जरूरत होगी. DC और SSP के पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति गृह मंत्रालय (MHA) के माध्यम से होगी.
वहीं, अन्य पदों जैसे क्लर्क, ड्राइवर, तकनीकी स्टाफ के लिए नई भर्ती की जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि बुनियादी ढांचा बनाने में समय लगेगा, क्योंकि हर जिले में DC और SSP के दफ्तर, आवास, और अन्य सरकारी भवनों का निर्माण जरूरी है.
LAHDC चुनाव और जिला गठन का कनेक्शन
लेह हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC) के चुनाव अक्टूबर 2025 में होने थे, लेकिन इन्हें टाल दिया गया. लद्दाख प्रशासन ने साफ कहा था कि चुनावों में देरी की एक बड़ी वजह नए जिलों के गठन की प्रक्रिया है.
इस वक्त लेह और कारगिल इन दो जिलों में हिल डेवलपमेंट काउंसिल काम कर रही हैं. हर काउंसिल में 30 सदस्य हैं, 26 चुने हुए और 4 नामांकित. अब जब लद्दाख में कुल 7 जिले बनेंगे, तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या हर जिले में अलग-अलग हिल काउंसिल बनेगी या कोई नया मॉडल अपनाया जाएगा.
सूत्रों का कहना है कि लद्दाख की कुल आबादी और वोटर्स की कम संख्या को देखते हुए 7 अलग-अलग हिल काउंसिल बनाना शायद व्यावहारिक नहीं होगा. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान लद्दाख में कुल 1.84 लाख वोटर ही थे.
अधिकारियों ने कहा कि अगर आबादी कम है, तो हर जिले में अलग काउंसिल बनाना मुश्किल होगा. हमें देखना होगा कि क्या कोई साझा व्यवस्था बनाई जा सकती है.
हेडक्वार्टर की घोषणा बाकी
फिलहाल प्रशासन ने यह साफ नहीं किया है कि 5 नए जिलों के मुख्यालय (हेडक्वार्टर) कहाँ होंगे. लेकिन यह कहा गया है कि जैसे ही प्रशासनिक मंजूरी और पदों की स्वीकृति मिल जाएगी, तब इनका औपचारिक ऐलान किया जाएगा.
लद्दाख के लोग अब बेसब्री से उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब 26 अगस्त 2024 को घोषित इन नए जिलों की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी.
लद्दाख में राजनीतिक अधिकारों और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर पहले से ही माहौल गरम है. ऐसे में 5 नए जिलों का गठन स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक संतुलन पर बड़ा असर डाल सकता है.
यह कदम न सिर्फ लेह और कारगिल के बीच प्रशासनिक भार को बांटेगा, बल्कि दूर-दराज इलाकों में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन को भी आसान बनाएगा.
हालांकि, राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि यह कदम राजनीतिक असंतोष शांत करने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है.
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Source: IOCL





















