Aga Ruhullah Mehdi News: जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने कहा है कि उसने बडगाम में राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी करके धोखाधड़ी से भुगतान निकालने के मामले में 22 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र पेश किया है. यह मामला दो दशक पुराने जमीन मुआवजा मामले से जुड़ा है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी लाभार्थियों में से एक हैं.
प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जम्मू-कश्मीर पीसी अधिनियम संख्या 2006 की धारा 5(1)(डी) के साथ 5(2) और आरपीसी की धारा 120-बी, 467,468,471 के तहत एफआईआर संख्या 18/2009 के मामले में श्रीनगर के भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायाधीश की माननीय अदालत के समक्ष 22 आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र पेश किया है, जिनमें 2 कलेक्टर, 4 अन्य लोक सेवक (अब सेवानिवृत्त) और 16 लाभार्थी शामिल हैं."
राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर पद का दुरुपयोग!
यह मामला रेवेन्यू अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी करके अपने पद का दुरूपयोग करने के आरोप की जांच के लिए एसीबी द्वारा की गई संयुक्त औचक जांच (जेएससी) के परिणाम के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप अतिरिक्त राज्य भूमि के एवज में धोखाधड़ी से भुगतान किया गया.
फर्जी दाखिल खारिज
फर्जी दाखिल खारिज के माध्यम से कब्जे वाली भूमि को खसरा संख्या 1692 के तहत 6 कनाल के बजाय 60 कनाल, खसरा संख्या 1666/750 के तहत 4 कनाल के बजाय 40 कनाल और खसरा संख्या 1736 के तहत 2 कनाल के बजाय 07 कनाल-10 मरला दर्शाया गया." बयान के अनुसार, जमीन की मात्रा बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाए जाने के कारण कामा या पट्टेदारों को 38.20 लाख रुपये का अत्यधिक भुगतान किया गया और इस तरह अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया साथ ही राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाया गया.
सरकारी आदेश संख्या 56-रेव(एस) 2006 के तहत डल निवासियों के पुनर्वास के लिए किए गए मुआवजे के भुगतान की जेएससी के दौरान यह पता चला कि राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों ने कुछ लाभार्थियों (कामा/पट्टेदारों) के साथ मिलकर धोखाधड़ी से भूमि अभिलेखों में वृद्धि करके अधिक मुआवजा प्राप्त करने की साजिश रची.
जम्मू-कश्मीर पीसी एक्ट एसवीटी के तहत एक मामला एफआईआर संख्या 18/2009 दर्ज किया गया. प्रवक्ता ने कहा, "इस मामले में आगे की जांच के लिए एसीबी श्रीनगर में धारा 120-बी आरपीसी के साथ धारा 2006 को दर्ज किया गया है."
पी/एस एसीबी श्रीनगर कश्मीर में एफआईआर संख्या 18/2009 दर्ज किए जाने के बाद मामले की जांच सिद्ध मानकर पूरी की गई और सरकार की सहमति के बाद एलएडब्ल्यूडीए के तत्कालीन 2 कलेक्टरों, 4 अन्य लोक सेवकों और 16 लाभार्थियों सहित निम्नलिखित 22 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई, मामले का चालान विशेष भ्रष्टाचार निरोधक न्यायाधीश श्रीनगर की अदालत में 12.04.2025 को पेश किया गया. NC सांसद आगा रुहुल्लाह ने आरोपों को खारिज किया
हालांकि, एनसी सांसद आगा रुहुल्लाह ने इस आधार पर मामले के आरोपों को खारिज कर दिया कि न तो वह और न ही उनका परिवार सीधे तौर पर भूमि सौदे या मुआवजे की बातचीत में शामिल था. उन्होंने कहा, ''मेरे दादा के पास 90 कनाल जमीन थी, लेकिन उन्हें केवल 50 कनाल का मुआवजा दिया गया, जबकि भूमि मालिकों को वास्तविक भूमि जोत के आधार पर भुगतान किया गया था.''
आगा रुहुल्लाह ने ये भी कहा, "40 हजार रुपये प्रति कनाल की दर से मुआवजा दिया गया और मुझे 80 हजार रुपये का चेक मिला, जिसे 13 जीवित वंशजों में वितरित किया गया." आगा ने आरोप लगाया कि बडगाम में विधानसभा उपचुनाव से पहले कुछ राजनीतिक दबाव बनाने के लिए यह मामला दर्ज किया गया है. बडगाम का प्रतिनिधित्व वे 18 वर्षों से कर रहे हैं.
यह मेरे खिलाफ लड़ाई है- आगा रुहुल्लाह
उन्होंने आगे कहा, "यह मेरे खिलाफ लड़ाई है और हम सभी जानते हैं कि इसके पीछे कौन है. मैं अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों से माफी मांगता हूं, जिन्हें मेरे साथ इस तुच्छ मामले में घसीटा गया है, लेकिन मैं हर मोर्चे पर लड़ूंगा."
आने वाले दिन में इस मामले के तूल पकड़ने की पूरी संभावना है. जहां बीजेपी और अन्य समर्थक दल इस मामले को आधार बनाकर नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार को निशाना बनाने की पूरी कोशिश करेंगे, वहीं एनसी किस तरह इस मामले से अपने आप को बचा पाती है यह देखने की बात होगी.