मध्य कश्मीर के बडगाम ज़िले में अधिकारियों ने पहली बार सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों के ख़िलाफ़ औपचारिक पुलिस मामला दर्ज किया है. इन लोगों ने बडगाम के प्रतिबंधित वन क्षेत्र में ऑफ-रोडिंग वाहन चलाने का एक वीडियो पोस्ट किया था. यह मामला तब दर्ज हुआ जब इस वीडियो के वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया. वीडियो में कुछ लोग ब्रेनवार जंगलों के पास पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक चरागाहों में गाड़ियां दौड़ाते नज़र आ रहे थे.

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वन विभाग की शिकायत पर मामला दर्ज

अधिकारियों के मुताबिक, वन विभाग की औपचारिक शिकायत के बाद भारतीय वन अधिनियम (IFA) के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया है. वीडियो में कई वाहन हरे-भरे घास के मैदानों से गुज़रते दिख रहे थे, जिससे टायरों के निशान बन गए और नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा.

उपायुक्त बोले– कानूनी कार्रवाई जारी, दोबारा न हो उल्लंघन

बडगाम के उपायुक्त बिलाल मोहिउद्दीन भट ने पुष्टि की कि इस गैरकानूनी गतिविधि में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है. उन्होंने कहा, “हमने इस मामले को गंभीरता से लिया है. सभी की पहचान के लिए प्राथमिकी दर्ज कर जांच जारी है.”

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उपायुक्त ने यह भी कहा कि वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों. साथ ही, स्थानीय लोगों और पर्यटकों को इन चरागाहों के पर्यावरणीय महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएंगे.

इन्फ्लुएंसर्स का तर्क– ऑफ-रोडिंग को वैध किया जाए

वन विभाग पुलिस के साथ मिलकर संबंधित वाहनों की पहचान और नुकसान का आकलन कर रहा है. यह क्षेत्र संरक्षित वन क्षेत्र के तहत आता है, जहाँ बिना अनुमति वाहन चलाना सख्त मना है.

एफआईआर दर्ज होने के बाद संबंधित सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने वीडियो डिलीट कर दिया, लेकिन अब वे कह रहे हैं कि “कश्मीर में ऑफ-रोडिंग ट्रेल्स को वैध किया जाना चाहिए.” उनका कहना है कि यह खेल युवाओं को अवसर देता है और इसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए.