जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर कहा कि ये एक सुरक्षा चूक थी. इस पर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया सामने आई है. मंगलवार (15 जुलाई) को मीडिया से बातचीत में उपराज्यपाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर सीएम ने कहा कि 80 दिनों के बाद देर आए दुरुस्त आए. उन्होंने कहा कि अब जब मानते हैं कि सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस की फेलियर रही है तो इसके बाद तो किसी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना होगा. 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकियों ने 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.
अगर इंजेलीजेंस फेलियर था तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?- सीएम
सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, "ये जानते हुए भी कि चूक तो हुई होगी, नहीं तो इतना बड़ा हमला होता नहीं. एक हुआ पहले चूक को स्वीकार करना उसके बाद फेलियर के लिए जिम्मेदार कौन. शायद उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस का भी फेलियर था तो अगर इंजेलिजेंस फेलियर था तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? ऐसा तो हो नहीं सकता कि 26 लोग अपनी कीमती जान गवाएं."
फातिहा पढ़ने को लेकर हुए हंगामे पर क्या बोले?
श्रीनगर के नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने को लेकर हुए हंगामे पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी. सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, "होना नहीं चाहिए था. बदकिस्मती की बात है. हमारी तरफ से कहीं पर भी कानून नहीं तोड़ा जा रहा था. अगर पाबंदी थी तो 13 तारीख की थी, 14 की थी नहीं. अब चलिए जो हुआ, नहीं होना चाहिए था."
नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान का गेट फांद गए थे सीएम
दरअसल, 13 जुलाई, 1931 को डोगरा सेना की गोलीबारी में मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए सीएम उमर अब्दुल्ला नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान का गेट फांदकर अंदर गए. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
ममता बनर्जी ने किया उमर अब्दुल्ला का समर्थन
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने उमर अब्दुल्ला का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘शहीदों के कब्रिस्तान में जाने में क्या गलत है? यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि एक नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकार को भी छीनता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचित मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ जो हुआ वह अस्वीकार्य है. चौंकाने वाला और शर्मनाक.’’
नजरबंद किए गए थे सीएम उमर अब्दुल्ला सहित कई नेता
बता दें की सीएम अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस और विपक्षी दलों के कई नेताओं को रविवार (13 जुलाई) को नजरबंद कर दिया गया था ताकि उन्हें ‘शहीद दिवस’ मनाने के लिए श्रीनगर के नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान जाने से रोका जा सके.