Himachal Pradesh Assembly By-Elections: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर हिमाचल प्रदेश की राजनीति का केंद्र बना हुआ है. 1 जून को सुजानपुर में विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. करीब सात साल पहले सुजानपुर पहली बार राष्ट्रीय सुर्खियों में आया था. बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे.


हिमाचल प्रदेश के सियासी इतिहास में पहली बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है जहां विधानसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में प्रत्याशी तो पुराने हैं, लेकिन दोनों के दल अब बदल चुके हैं. पहाड़ी राज्य की सियासत में अजब-गजब रंग नजर आ रहे हैं. जनता भी असमंजस की स्थिति में है.


16 महीने बाद बदल गए दल, जनता किसे देगी बल?


सुजानपुर में बीजेपी प्रत्याशी राजिंदर राणा और कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत सिंह पठानिया के बीच मुकाबला है. खास बात है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों प्रत्याशी आमने सामने थे. उस समय रणजीत सिंह राणा बीजेपी और राजिंदर राणा कांग्रेस के प्रत्याशी थे. दोनों के बीच एक बात समान है. दोनों नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के सियासी शिष्य भी हैं. अब मुकाबला धूमल के शिष्य आमने सामने हैं. 


साल 2022 के विधानसभा चुनाव का ये था परिणाम


साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजिंदर राणा को 27 हजार 679 वोट मिले. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा ने 27 हजार 280 वोट हासिल किए. दोनों के बीच जीत का मार्जिन सिर्फ 399 वोट का था. सुजानपुर विधानसभा के चुनाव में 237 वोटर्स ने नोटा का भी बटन दबाया था. विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के ज्ञान चंद को 103, आम आदमी पार्टी के अनिल राणा को 212 और निर्दलीय प्रत्याशी राजेश कुमार को 86 वोट मिले थे. 


लगातार तीसरी बाद विधायक बनने के लिए लड़ाई


राजिंदर राणा लगातार तीसरी बार विधायक बनने की लड़ाई लड़ रहे हैं. राजिंदर राणा पहली बार साल 2012 में विधायक बने थे. उन्होंने प्रेम कुमार धूमल का साथ छोड़ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. साल 2014 में राजिंदर राणा ने अपने सियासी गुरु प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. साल 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से पहले उन्हें निर्दलीय विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा.


एक तरफ राजिंदर राणा सांसद का चुनाव हार गए और दूसरी तरफ उनकी विधानसभा से सदस्यता भी चली गई. साल 2014 के सुजानपुर विधानसभा उपचुनाव में राजिंदर राणा की धर्मपत्नी अनीता राणा ने चुनाव लड़ा और उन्हें भी मोदी लहर में बीजेपी के नरेंद्र ठाकुर ने चुनाव हरा दिया. इसके बाद साल 2017 का चुनाव राजिंदर राणा ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा. बीजेपी ने प्रेम कुमार धूमल को हमीरपुर से चुनाव लड़ने के लिए सुजानपुर भेज दिया.


चुनाव की तारीख से तीन हफ्ते पहले सीट बदलने की वजह से प्रेम कुमार धूमल चुनाव जीतने में नाकाम रहे. राजिंदर राणा राष्ट्रीय स्तर पर भी एक जाना-पहचाना चेहरा बन गए. साल 2022 का चुनाव राजिंदर राणा ने दोबारा कांग्रेस के टिकट पर लड़कर जीत हासिल की. राजिंदर राणा ने रणजीत सिंह राणा को चुनाव हराया. जीत के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. धीरे-धीरे राणा का मोह भंग होता चला गया और राज्यसभा चुनाव में विरोध को बुलंद करने का मौका मिल गया. 


उन्होंने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी का खेल बिगाड़ दिया. उनके साथ कांग्रेस के पांच अन्य विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस के खिलाफ वोट किया. व्हिप उल्लंघन पर राजिंदर राणा के साथ अन्य पांच विधायकों की भी सदस्यता चली गई. बाद में तीनों सभी पूर्व विधायकों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली और अब सभी उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी हैं.


सुजानपुर में जीत के लिए CM सुक्खू ने झोंकी ताकत


सुजानपुर सीट जीतने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी पूरी जान लगा रहे हैं. इन दिनों सुजानपुर हिमाचल प्रदेश की सियासत का केंद्र बना हुआ है. मुख्यमंत्री किसी भी हाल में इस सीट पर जीत हासिल करना चाहते हैं. कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला. इसलिए बीजेपी के रणजीत सिंह राणा को कांग्रेस में शामिल कर विधानसभा उपचुनाव का टिकट थमा दिया.


मुख्यमंत्री सुक्खू कई दिनों तक हमीरपुर में डेरा रहे. आने वाले दिनों में भी मुख्यमंत्री का विशेष ध्यान रहने वाला है. राजिंदर राणा के लिए इस बार जीत की राह आसान नहीं होने वाली है. साल 2022 का चुनाव राजेंद्र राणा 399 वोट के मार्जिन से जीते थे. ऐसे में कांग्रेस जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है.


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