Subhash Manglet Join BJP: साल 2003 में सिर्फ 28 साल की उम्र में निर्दलीय विधायक बनने वाले डॉ. सुभाष चंद्र मंगलेट ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली है. दिल्ली में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नेता की मौजूदगी में उन्हें उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. 


सुभाष चंद्र मंगलेट के बीजेपी में आने के पीछे राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन का बड़ा हाथ रहा है. डॉ. सुभाष मंगलेट की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी नेताओं में की जाती रही. डॉ. मंगलेट मार्केटिंग बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा वे ऑल इंडिया एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के भी अध्यक्ष पद का भी जिम्मा संभाल चुके हैं.


साल 2022 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था चुनाव
सुभाष मंगलेट ने साल 2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी की टिकट पर लड़ना चाहा था. सुभाष मंगलेट को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया. उनकी जगह हिमाचल कांग्रेस के संगठन महासचिव रजनीश  किमटा को मैदान में उतारा गया.


इसके बाद मंगलेट ने हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला पर भी कई गंभीर आरोप भी लगाए थे. टिकट न मिलने से नाराज डॉ. मंगलेट ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और यहां कांग्रेस प्रत्याशी रजनीश किमटा का खेल बिगाड़ दिया. 


चौपाल से बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद
बीते दिनों एबीपी लाइव ने हिमाचल कांग्रेस संगठन महासचिव रजनीश किमटा से डॉ. सुभाष चंद्र मंगलेट की वापसी को लेकर सवाल किया था. इस सवाल पर किमटा ने जवाब दिया था कि नेताओं की वापसी गुण और दोष के आधार पर हो रही है. उसी वक्त यह तय हो गया था कि किमटा अब मंगलेट की कांग्रेस पार्टी में वापसी नहीं चाहते हैं.


इसी बात का फायदा बीजेपी ने उठाया और उन्हें पार्टी में शामिल करवा लिया. भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि सुभाष मंगलेट के बीजेपी में आने से लोकसभा चुनाव में चौपाल विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी को मदद मिलेगी.


मंगलेट ने बिगाड़ा था किमटा का खेल
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बलवीर वर्मा की 25 हजार 873 वोट के साथ जीत हुई थी. यहां कांग्रेस के रजनीश किमटा को 20 हजार 840 वोट मिले थे. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े डॉ. सुभाष चंद मंगलेश ने 13 हजार 706 वोट हासिल किए थे.


यहां बहुजन समाज पार्टी के भगत लाल को 382, आम आदमी पार्टी के उदय सिंगटा को 413, निर्लदीय प्रत्याशी अशोक कुमार को 463 और नोटा के पक्ष में 550 वोट मिले थे. इस तरह 13 हजार 706 वोट हासिल करने वाले सुभाष चंद मंगलेश ने रजनीश किमटा की हार में हम भूमिका निभाई.


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