देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में सोमवार को एक भीषण अग्निकांड देखने को मिला. जिले की तीर्थन घाटी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत नोहांडा के झनियार गांव में अचानक लगी आग ने विकराल रूप ले लिया और देखते ही देखते कई रिहायशी मकानों को अपनी चपेट में ले लिया.
जानकारी के अनुसार, आग शुरुआत में दो मकानों में लगी, लेकिन लकड़ी के बने घरों और सर्दियों के लिए जमा की गई घास व लकड़ी के कारण लपटें बेकाबू हो गईं.
काष्ठकुणी शैली के मकानों में भड़की आग
गांव के अधिकतर मकान पारंपरिक 'काष्ठकुणी' शैली (लकड़ी से बने) के थे, जो आग की चपेट में तेजी से आते हैं. आग की लपटें इतनी भयानक थीं कि स्थानीय लोग अपने स्तर पर आग पर काबू पाने में नाकाम रहे. ग्रामीणों ने बताया कि सर्दियों के मौसम के लिए घरों में लकड़ी और घास का भंडारण किया गया था, जिसने आग में घी का काम किया और लपटें तेजी से फैलती चली गईं.
सड़क न होने से नहीं पहुंच पाई फायर ब्रिगेड
इस तबाही का सबसे बड़ा कारण गांव का दुर्गम इलाके में होना और सड़क मार्ग से न जुड़ा होना रहा. गांव सड़क से दूर होने के कारण, आग लगने की सूचना मिलने के बावजूद दमकल की गाड़ियां समय पर घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाईं. जब तक ग्रामीण कुछ समझ पाते या मदद पहुंचती, तब तक आग ने गांव के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया था.
करोड़ों का नुकसान, प्रशासन ने दिए मदद के निर्देश
गनीमत यह रही कि इस भीषण आग की घटना में किसी भी तरह के जानी नुकसान की कोई खबर नहीं है. हालांकि, आग की चपेट में गांव के करीब एक दर्जन मकान आए हैं, जिससे कई परिवार बेघर हो गए हैं. इस अग्निकांड में करोड़ों रुपये की संपत्ति के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.
आग लगने की सूचना मिलते ही, संबंधित सरकारी और प्रशासनिक विभागों को तत्काल सक्रिय कर दिया गया है. प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रभावित परिवारों को रहने-खाने की तत्काल व्यवस्था सहित हर संभव सहायता और राहत पहुंचाना सुनिश्चित करें. फिलहाल, राजस्व विभाग की टीमें आग से हुए कुल नुकसान का आंकलन करने में जुट गई हैं.