शिमला मेयर कार्यकाल बढ़ाने के फैसले पर बवाल, सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में पहुंचा मामला
Shimla News: शिमला में मेयर का कार्यकाल ढाई से पांच साल करने के फैसले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. सुक्खू सरकार के इस निर्णय पर राजनीतिक मतभेद और कानूनी विवाद गहराते नजर आ रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में नगर निगम शिमला के मेयर के कार्यकाल को ढाई वर्ष से पांच वर्ष करने के फैसले पर सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रहीं हैं. सरकार के इस फैसले को लेकर वकील अंजली सोनी वर्मा ने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है, जिसमें शहरी विकास विभाग, स्टेट इलेक्शन कमीशन और शिमला मेयर सुरेंद्र चौहान को प्रतिवादी बनाया गया है. आरक्षण रोस्टर के अनुसार, अगले ढाई साल के लिए अनुसूचित जाति की महिला पार्षद को मेयर बनना था, लेकिन सुक्खू सरकार ने इसे बदलते हुए मौजूदा मेयर को लाभ पहुंचाने के लिए इसे पांच साल बढ़ा दिया है. सरकार ने तर्क दिया कि हॉर्स ट्रेडिंग रोकने और प्रशासनिक स्थिरता के लिए कार्यकाल को पांच साल किया गया है.
कैबिनेट की मंजूरी और अध्यादेश जारी
बीते 25 अक्टूबर को सुक्खू कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके बाद सरकार ने अध्यादेश जारी किया है, जिसे आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा में रखा जाएगा. नगर निगम शिमला मेयर सुरेंद्र चौहान का ढाई वर्ष का कार्यकाल15 नवंबर को खत्म हो रहा था. सामान्य स्थिति में मेयर और डिप्टी मेयर का बदलना तय था, लेकिन अब अध्यादेश लागू होने से यह बदलाव नहीं होगा.
कांग्रेस में मतभेद और राजनीतिक असर
इस फैसले से कांग्रेस के भीतर भी मतभेद सामने आए हैं. 15 कांग्रेस पार्षदों ने मुख्यमंत्री सुक्खू से ओक ओवर में मुलाकात कर इस कदम पर असहमति जताई. हालांकि, सीएम सुक्खू ने स्पष्ट कर दिया कि फैसला वापस नहीं लिया जाएगा और सभी पार्षदों से एकजुट होकर काम करने की अपील की.
पूर्व बीजेपी सरकार ने ही मेयर का ढाई-ढाई साल का रोटेशनल सिस्टम लागू किया था, ताकि आरक्षण प्रणाली और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहे. अब मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है, और राज्य की निगाहें अदालत के फैसले पर टिक गई हैं. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में शिमला समेत आठ नगर निगम हैं, इसलिए इस फैसले का असर सभी निगमों पर पड़ेगा. शिमला नगर निगम में कुल 34 वार्ड हैं. जिनमें से 24 पर कांग्रेस, 8 पर बीजेपी और एक वार्ड कांग्रेस के पास हैं. 34 में से 21 महिला पार्षद हैं जो एक साथ महिला रोस्टर को लागू करने की आवाज बुलंद कर रहीं हैं.
Source: IOCL
























