Himachal Pradesh Farmer Nekram Sharma: हिमाचल प्रदेश के किसान नेक रामशर्मा को पद्मश्री से सुशोभित किया गया है. सिर्फ दसवीं तक पढ़े नेक राम शर्मा को प्राकृतिक खेती की नेक सोच से पहचान मिली. 30 साल पहले 1993 में उन्होंने बिना केमिकल के प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी. नेकराम शर्मा के लिए प्राकृतिक खेती का सफर आसान नहीं था. शुरुआती दौर में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि उनके इरादे जटिल थे. धीरे-धीरे नेकराम शर्मा ने गांव के लोगों को भी साथ जोड़ना शुरू किया.

Continues below advertisement

30 साल की कड़ी मेहनत के बाद मिली पहचान

आज उनके गांव के आसपास सिर्फ गोबर की मदद से किसान खेती करते हैं. 59 वर्षीय किसान नेकराम ने सरकारी नौकरी की अनदेखा कर धरती मां को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती की शुरुआत की. प्राकृतिक खेती बीमारियों को दूर रखने में भी सहायक सिद्ध होती है. केमिकल खेती ना केवल मानव शरीर के लिए हानिकारक है बल्कि उपजाऊ जमीन को भी खराब करती है. नेकराम शर्मा ने नेक इरादों के साथ ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को नई दिशा देने का काम किया. आज प्राकृतिक रूप से गेहूं, मक्की, बाजरा, जौ और अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं.

Continues below advertisement

प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में मिला पद्मश्री अवार्ड 

नेकराम शर्मा की प्राकृतिक सब्जियों की डिमांड हिमाचल प्रदेश से लेकर राजधानी दिल्ली तक है. 1 मई 1964 को जन्मे नेकराम शर्मा ने सिर्फ मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. मिट्टी के लिए कुछ कर गुजरने की मंशा हमेशा उन्हें प्रेरणा देने का काम करती रही. नेकराम शर्मा ने किसानों को केमिकल खेती की ओर बढ़ते देखकर ठान लिया कि इस खेती से छुटकारा दिलाना है. प्राकृतिक खेती की शुरुआत के साथ उन्होंने केमिकल का इस्तेमाल पहले कम कराया और धीरे-धीरे खत्म कर दिया. नेकराम शर्मा की प्राकृतिक खेती के फार्मूले का इस्तेमाल न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी हो रहा है. 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद नेकराम शर्मा को पद्मश्री मिलने से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है. प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में नेकराम शर्मा को सम्मान मिलने से प्राकृतिक खेती को भी और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

Watch: सुखविंदर सिंह सुक्खू के CM बनने से खुश नहीं हैं प्रतिभा सिंह? इस बयान के बाद उठे सवाल