Himachal Pradesh: साल 2023 अब तक दुनिया भर में सबसे गर्म साल रहा. इससे पहले साल 2016 सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया था. अब दुनिया साल 2024 में दाखिल हो चुकी है. हर साल के पहले ही महीने में पहाड़ हमेशा बर्फ से लकदक नजर आते थे, लेकिन जनवरी महीने में हिमालय का एक बड़ा हिस्सा लंबे वक्त से बर्फबारी का इंतजार कर रहा है. लंबे वक्त से पड़े सूखे की वजह से हर किसी की चिंता बढ़ी हुई है. बर्फबारी का न होना स्थानीय लोगों पर्यटन कारोबारी के साथ बागवानों के लिए भी चिंता का विषय है.


मौसम विज्ञान केंद्र शिमला का पूर्वानुमान है कि जनवरी महीने में भी मौसम शुष्क ही बना रहेगा. हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में बर्फबारी और बारिश की संभावना न के बराबर है. हालांकि 16-17 जनवरी को हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति और शिमला की ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी हो सकती है. बीते मंगलवार को भी मौसम ने करवट तो ली, लेकिन फिर बर्फ के चंद फाहों से ही लोगों को संतोष करना पड़ा.


शुष्क ठंड ने बढ़ाई लोगों की परेशानी


मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पॉल ने कहा कि कोई मजबूत पश्चिमी विक्षोभ हिमाचल की तरफ नहीं आ रहा है. 16-17 जनवरी को हल्की बर्फबारी की ही संभावना है. हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया जा रहा है. लगातार पड़ रही शुष्क ठंड की वजह से सुबह-शाम के वक्त भी ठंडक ज्यादा बढ़ रही है.


कहां कितना डिग्री तापमान?


हिमाचल प्रदेश के कुकुमसेरी में सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया. यहां न्यूनतम तापमान -8.9 डिग्री रहा, जबकि सोलन में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान 22.0 डिग्री तक दर्ज किया गया है. इसके अलावा शिमला में न्यूनतम तापमान 9.0, सुंदरनगर में  -0.3, भुंतर में -0.4 कल्पा में 1.2, धर्मशाला में 5.2, ऊना में 0.2, नाहन में 4.3, पालमपुर में 3.0, मनाली में 1.2, कांगड़ा में 3.3, मंडी में -0.4, चंबा में 2.9, डलहौजी में 6.4, जुब्बलहट्टी में 7.9 और कुफरी में 8.1 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया.


ग्लोबल पैटर्न में बदलाव के चलते नहीं हो रही बर्फबारी


डॉ. सुरेंद्र पॉल ने बताया कि पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश न होने की एक बड़ी वजह ग्लोबल पैटर्न भी है. बर्फबारी सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के लिए अटलांटिक ओशियन से हवाएं आती हैं. पोल की ओर से ठंडी और ट्रॉपिक की ओर से गर्म हवा आने पर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है. इस बार पोल में हवा बेहद कम है और कम दबाव का क्षेत्रफल भी हावी है. कम दबाव के क्षेत्रफल के हावी रहने की वजह से हवाएं आगे की तरफ नहीं आ रही है. इसी वजह से पेसिफिक ओशियन में भी तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया जा रहे हैं.


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