हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिरों को दान की गई धनराशि का दुरुपयोग रोकने के लिए बड़े आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दान को हर कहीं इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. बल्कि मंदिर या धार्मिक कार्यों से जुड़े स्थलों पर ही उपयोग किया जा सकता है. हाई कोर्ट की ओर से आए इस फैसले पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की ओर से बयान दिया गया है. उन्होंने कहा है कि मंदिरों के पैसों को लेकर सरकार की नीयत खराब रही है. जयराम ठाकुर ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

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नेता प्रतिपक्ष ने दी प्रतिक्रिया 


इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मंदिरों की धनराशि पर सरकार की नजर पहले से ही टेढ़ी थी और सरकार मंदिरों का पैसा हथियाने की हमेशा तरकीबें निकालता रहता था. कभी किसी योजना के नाम पर, कभी किसी और बहाने से सरकार मंदिरों का पैसा हथियाने का काम कर रही थी. सत्ता में आने के साथ ही सरकार की नजर मंदिरों की संपत्तियों पर थी. 


उन्होंने आगे कहा, भाजपा ने हमेशा मंदिर के पैसे जबरदस्ती लेकर सरकार चलाने का विरोध किया. हमने समय-समय पर सरकार की नीयत को लेकर आगाह भी किया था. उन्होंने कहा कि अब संपत्तियों उच्च न्यायालय द्वारा मंदिर के पैसे सरकार चलाने के लिए खर्च करने पर रोक और मंदिर की संपत्तियों की देखरेख से संबंधित जो दिशा निर्देश दिए गए हैं, वह स्वागत योग्य हैं. 


फैसले से वसूली पर रोक लगेगी- जयराम ठाकुर


इससे सरकार द्वारा मंदिरों से धनराशि वसूलने पर रोक लगेगी और मंदिरों का पैसा श्रद्धालुओं की सुविधा, गौ माता की सेवा और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में ही लगेगा. जयराम ठाकुर ने कहा कि हमने पहले ही इस मामले में सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे कि वह सरकार चलाने के लिए मंदिरों की सम्पत्ति हड़पना चाहती है.


 इसी वर्ष 29 जनवरी को सरकार द्वारा प्रदेश के सभी डीसी को पत्र लिखा गया था कि मंदिर अपने राजस्व से सरकार के खजाने में पैसा जमा करें उन पैसों का इस्तेमाल सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना के लिए होगा. यह सरकार की एक साजिश से ज्यादा कुछ नहीं थी. क्योंकि लोक कल्याण समिति की बैठक में यह सामने आया कि सरकार द्वारा सुखाश्रय के लिए आवंटित बजट का लगभग 88 करोड़ रुपए सरकार द्वारा एफडी किया गया है. 


जबकि लाभार्थियों को कोई बड़ी राहत सहायता मिल नहीं रही है. इस योजना के नाम पर जो कि सरकार की फ्लैगशिप स्कीम है जिसके लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये हर साल विज्ञापन पर खर्च किए गए उस योजना के लिए भी मंदिर से पैसा क्यों लिया जा रहा है.


जयराम ठाकुर ने सरकार पर बोला हमला 


जयराम ठाकुर ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल सरकार की नीयत का है. मंदिरों से सरकार की वसूली की बात जब सामने आई तो सरकार सीधे मुकर गई. ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा झूठे सर्टिफाइड मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और संबंधित विभाग के मंत्री ने साफ़-साफ़ कहा कि कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है. जब सरकार द्वारा लिखी गई चिट्ठी सबके सामने आई तब भी उन्होंने झूठ का सहारा लेना बंद नहीं किया. 


उनका कहना है कि अगर सरकार पैसा ले रही है तो उसे स्वीकारने में समस्या क्या है? झूठ बोलने की नौबत तभी आती है जब नीयत में खोट हो. मंदिर से पैसा वसूली करने वाली सरकार की मित्र मंडली और उसके प्रचार तंत्र ने हमारी सरकार द्वारा गोशाला के लिए मंदिरों के द्वारा दान देने पर प्रश्न उठाए. सनातन परंपरा के विरोधी कांग्रेस ने मंदिरों का पैसा गाय माता के लिए गौशाला बनाने का भी विरोध किया था. विधान सभा के बनाए कानून पर प्रश्न उठाया था. 


कोर्ट के फैसले से लोगों को मिला संदेश- जयराम ठाकुर


जयराम ठाकुर की ओर से बयान में बताया गया कि न्यायालय के गौसेवा और गौशाला के लिए मंदिरों की संपत्ति खर्च करने के दिशा निर्देश से गौसेवा पर उंगली उठाने वाले लोगों को भी साफ़ संदेश मिल गया है. अब व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार के मुखिया से हमारी अपेक्षा है कि वह मंदिरों की संपत्ति पर अपनी नजरें गड़ाने से बचेंगे और मंदिर की आय का इस्तेमाल धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च करेंगे.


जायरा ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिरों की आय को देवता की संपत्ति बताया, सरकार के उपयोग पर रोक लगाई है. मंदिरों का यह चढ़ावा अब सिर्फ धार्मिक, शैक्षणिक और धर्मार्थ कार्यों में खर्च होगा.


उनका कहना है कि मंदिरों में चढ़ाया गया पैसा, देवता है कि और प्रदेश सरकार का इस पर कोई हक नहीं है. ट्रस्टी केवल सरंक्षक हैं. अब यह पैसा सिर्फ धर्म का प्रचार प्रसार मानवता और गौ सेवा में ही यह धनराशि खर्च की जा सकती है. साथ ही मंदिरों की आय और व्यय का ब्योरा परिसर में सार्वजनिक तौर पर लिखने के निर्देश दिए गए हैं.