Mandi News: हिमाचल के मंडी जिले में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए रविवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राजभवन से राहत सामग्री से भरे तीन वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह राहत सामग्री राज्य रेडक्रॉस सोसाइटी के माध्यम से मंडी के जिला प्रशासन को भेजी गई है.
राहत सामग्री में 540 कंबल, 500 तिरपाल, 20 पेटी कपड़े, किचन सेट, बाल्टियां तथा अन्य आवश्यक घरेलू सामान शामिल हैं, जो आपदा प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत प्रदान करने के उद्देश्य से भेजे गए हैं.
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि मंडी जिले के थुनाग और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक क्षति हुई है और कई संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में युद्धस्तर पर जुटी हुई हैं.
उन्होंने आमजन से अपील की कि वे प्रशासन को सुचारू रूप से कार्य करने दें और घटनास्थल पर अनावश्यक भीड़ लगाकर बाधा न बनें. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को क्षेत्र की जानकारी अधिक होती है और उनके सहयोग से राहत कार्य बेहतर ढंग से किए जा सकते हैं.
वन काटने वालों पर भड़के राज्यपाल
इस दौरान राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि मंडी और कुल्लू से जिस तरह लकड़ी बहकर आई है वह इस बात का प्रमाण है कि बड़े स्तर पर वनों को काटा जा रहा है और उसके बाद भी यह कहना बड़ी बात नहीं कि यह मानवता को शर्मसार करने वाला है. उन्होंने कहा कि अगर वन काटने वालों में थोड़ी भी मानवता बची है तो हिमालय को बर्बाद करना बंद करें और हिमाचल के जंगलों को बचाने का काम करें जिसके लिए हिमाचल जाना जाता है.
पीड़ित परिवारों से मिलेंगे राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि वे स्वयं भी उचित समय पर आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और पीड़ित परिवारों से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक आवश्यकता होगी, रेडक्रॉस के माध्यम से राहत सामग्री भेजी जाती रहेगी और यदि जरूरत पड़ी तो अन्य माध्यमों से और भी सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने प्रदेशवासियों से भी इन कठिन परिस्थितियों में हरसंभव सहयोग की अपील की.
राज्यपाल ने प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वनों की अंधाधुंध कटाई जैसे कारण पर्यावरण को असंतुलित कर रहे हैं और यदि समय रहते चेतावनी न ली गई तो प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती रहेगी.
उन्होंने सुझाव दिया कि निर्माण कार्यों से जुड़े सभी विभागों और नीति निर्धारकों को इस विषय पर चिंतन करना चाहिए ताकि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ठोस और प्रभावी नीति बनाई जा सके.
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