हिमाचल प्रदेश में मानसून ने भारी तबाही मचाई है. एक बड़ी दुर्घटना न हो इसके लिए राज्य में कई सड़कें अस्थायी रूप से बंद कर दी गई थी. लेकिन अब चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर दवाड़ा से झलोगी के बीच भारी बारिश के बाद हुई भूस्खलन की घटनाओं ने यातायात को पूरी तरह से ठप कर दिया था. मंगलवार रात करीब 8 बजे बंद हुआ हाईवे लगभग 41 घंटे बाद गुरुवार (7 अगस्त) को दोपहर 1 बजे एक तरफा यातायात के लिए बहाल कर दिया गया. जानकारी के मुताबिक, दवाड़ा फ्लाईओवर के पास अचानक भारी चट्टानें गिर गईं, वहीं झलोगी तक करीब चार अलग-अलग स्थानों पर सलाइडिंग होती रही, जिससे सैकड़ों वाहन दोनों ओर फंस गए थे.
यात्री हनोगी व रैंस नाला सुरंगों के बीच फंसे हुए थे
इसके बाद 9 मील और जोगनी मोड़ पर भी लेंडसलाइड के कारण मार्ग बंद था पर बुधवार शाम तक इन दोनों जगहों को खोल दिया गया था. इस बीच भारी बारिश के कारण वाहनों के आवाजाही में काफी दिक्कतें हो रही है. वहीं मंडी के काइंच मोड़ पर भूस्खलन में चंडीगढ़ निवासी जयकृष्ण जो कि एक टैक्सी ड्राइवर हैं वे घायल हो गए. दवाड़ा में स्थिति को देखते हुए पंडोह और औट पुलिस ने मोर्चा संभाला और मौके पर तैनात रहकर आवाजाही को नियंत्रण में लिया. एक तरफा ट्रैफिक की बहाली के बाद अभी भी हाईवे पर खतरा बना हुआ है, खासकर मंडी से औट तक का सफर जोखिम भरा बना हुआ है.
हाईवे बंद होने के कारण कई वाहन चालकों को आर्थिक नुकसान
इस दौरान सबसे अधिक प्रभावित वे यात्री रहे, जो हनोगी व रैंस नाला सुरंगों के बीच फंसे हुए थे. प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं ने इन यात्रियों के लिए भोजन, पानी और बिस्कुट आदि की व्यवस्था की. इस बीच हाईवे बंद होने के कारण कई वाहन चालकों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा. फलों और सब्ज़ियों से लदे ट्रक और गाड़ियां रास्ते में फंसी रहीं, जिससे सामान सड़ गया और व्यापारियों को नुकसान हुआ. हालांकि एक तरफा यातायात शुरू हो गया है, लेकिन हाईवे की हालत अब भी खतरे से खाली नहीं.
इस भारी बारिश के कारण फिर से स्लाइडिंग का खतरा बना हुआ है. एन एच ए आई और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है, लेकिन स्थायी समाधान अभी दूर नजर आ रहा है.