हिमाचल प्रदेश विधानसभा में देहरा उप चुनाव के दौरान कैश फॉर वोट का मामला फिर गरमा गया है. विधानसभा परिसर में विपक्ष के विधायक सुधीर शर्मा, त्रिलोक जमवाल और आशीष शर्मा ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार पर देहरा चुनाव के दौरान महिलाओं को गलत तरीके से पैसे बांटने का आरोप लगाया. साथ ही विधानसभा के भीतर जानकारी छुपाने के लिए विपक्ष के विधायकों के प्रश्न हटाने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सीएम की साख दांव पर है, इसलिए जानकारी छिपाई जा रही है. 

सुधीर शर्मा ने आरोप लगाया कि देहरा उपचुनाव में कैश फॉर वोट को लेकर मुख्यमंत्री अपनी साख बचाने के लिए जानकारी छिपा रहे हैं. उपचुनाव के दौरान आचार संहिता के दौरान कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक से 68 महिला मंडलों को पैसे दिए गए और 1000 महिलाओं के खाते में 4500 रुपए दिए गए. ऐसे में सदन के भीतर इसको लेकर प्रश्न पूछा गया था, लेकिन लिस्ट होने के बावजूद प्रश्नकाल में यह प्रश्न हटा दिए गए.

लिस्ट होने के बावजूद प्रश्नकाल में प्रश्न नहीं लगा था- बीजेपी

धर्मशाला से बीजेपी विधायक सुधीर शर्मा ने आरोप लगाया कि विधायक आशीष शर्मा की ओर से देहरा उप-चुनाव में महिला मंडलों को कांगड़ा बैंक से पैसे देने का प्रश्न पूछा गया था. प्रश्न लिस्ट होने के बावजूद आज प्रश्नकाल में प्रश्न नहीं लगा था और हटा दिया गया. उन्होंने कहा, ''कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान महिला मंडलों को पैसे दिए गए थे. कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक से 68 महिला मंडलों को पैसे दिए गए. 1 हजार महिलाओं के खाते में 4500 दिए गए थे. 

मुख्यमंत्री की साख दांव पर है- सुधीर शर्मा

उन्होंने आगे कहा, ''पिछले विधानसभा सत्र के दौरान भी प्रश्न लगाया गया था लेकिन जानकारी नहीं दी गई. RTI के जरिए भी इसका ब्यौरा मांगा गया था जो मिल गया है, लेकिन सदन में प्रश्नकाल से प्रश्न हटा दिए गए. इसके अलावा पर्यटन निगम के होटलों से जुड़ा प्रश्न भी विपक्ष के विधायकों की ओर से पूछा गया था, वह भी हटा दिया गया. पूर्व विधायक होशियार सिंह की ओर से हिमाचल हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. देहरा का चुनाव संवेदनशील है. मुख्यमंत्री की साख दांव पर है, इसलिए जानकारी छुपाई जा रही है.''

बिलासपुर से बीजेपी विधायक ने क्या कहा?

वहीं, इस दौरान बिलासपुर से बीजेपी विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा, ''विधानसभा में उनकी ओर से वर्तमान सरकार की एक्साइज नीति से जुड़ा प्रश्न पूछा गया था, लेकिन आज प्रश्न काल के दौरान प्रश्न का विलोप कर दिया गया. जबकि बीते कल तक प्रश्न विधानसभा के कार्य सूची में लिस्ट था. रुल संख्या 52 और 53 के तहत सदन में प्रश्न पूछ ने के नियम है. सदस्य की अनुमति के बिना प्रश्न लिस्ट होने के बाद ऐसे नहीं हटाए जा सकते.''

हालांकि सदन के अंदर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके प्रश्न लिस्ट किए जाएंगे. त्रिलोक जामवाल का कहना है कि प्रदेश सरकार अपनी एक्साइज नीति से होने वाले रेवेन्यू पर जानकारी क्यों छिपानी चाहती है, यह एक प्रश्न चिन्ह है.