फिल्म स्टार अक्षय कुमार को रियल हीरो मानने वाले 18 साल के पंकज ने उनसे मिलने का अनोखा तरीका अपनाया है, मजदूर माता-पिता के बेटे पंकज ने कबाड़ से सामान इकट्ठा कर रोल्स-रॉयस कार बना दी जो अक्षय कुमार को भेंट करेंगे. पंकज का मानना है कि अक्षय कुमार रियल हीरो है, इसलिए उनसे मिलने का ऐसा तरीका अपनाया जाए जो सबसे अलग हो.
यही नहीं मजदूर पिता ने भी बेटे की जिद के आगे कर्ज उठाकर इधर-उधर से सामान इकट्ठा कर बेटे का सपना पूरा करने की कोशिश की, अब पंकज के पास मुंबई तक का किराया नहीं है ताकि वह अक्षय कुमार तक रोल्स-रॉयस गाड़ी पहुंचा सके. 18 वर्षीय पंकज रोहतक जिले के महम खेड़ी में छोटे से गांव में रहता है और पंकज ने दसवीं तक पढ़ाई की है. पंकज पढ़ना चाहता है लेकिन सारे पैसे गाड़ी बनाने में खर्च कर दिए है, इसके बाद पंकज संजय दत्त के लिए भी माफिया गाड़ी बनाना चाहते हैं.
किराए के पैसे नहीं है पंकज के पास
रोहतक जिले के महम खेड़ी नामक छोटे से गांव में रहने वाले मजदूर माता-पिता के 18 वर्षीय पंकज अक्षय कुमार के बहुत बड़े फैन है. अक्षय कुमार से मिलने की सनक पंकज के दिमाग में ऐसी चढ़ी कि उसने कबाड़ से सामान इकट्ठा कर महज 3 महीने में रोल्स-रॉयस गाड़ी बनाकर तैयार कर दी, गाड़ी बनाने में पंकज के लगभग चार लाख रुपये खर्च हुए, जो पिता ने इधर-उधर से कर्ज उठाकर पंकज को दिए पंकज इस गाड़ी को मुंबई ले जाकर अक्षय कुमार को भेंट करना चाहते हैं, लेकिन पंकज के पास किराए के पैसे नहीं, यही नहीं सारे पैसे गाड़ी में लगा चुके पंकज ने आगे की पढ़ाई इसलिए छोड़ दी कि उसके पास पैसे नहीं है.
दिन-रात मेहनत कर गाड़ी को कर दिया तैयार
पंकज की गाड़ी को लेकर दूर-दूर से लोग उनसे मिलने के लिए आ रहे हैं और पंकज की तारीफ कर रहे हैं. दरसल पंकज को रोल्स-रॉयस गाड़ी बनाने का आईडिया यूट्यूब चैनल देखकर आया पंकज का कहना है कि उसने रोल्स-रॉयस गाड़ी ही इसलिए बनाई की ये राजा महाराजाओं की गाड़ी है और वह अक्षय कुमार को रियल हीरो मानते हैं, इसलिए यह गाड़ी उन्होंने अक्षय कुमार के लिए बनाई है. करीब 3 महीने की मेहनत के बाद पंकज ने कबाड़ से सामान इकट्ठा कर दिन-रात मेहनत कर गाड़ी को तैयार कर दिया, इस रॉयल्स रॉयल गाड़ी में एक हीटर,ऐसी और तमाम लग्जरी सुविधाएं मौजूद है पंकज कभी-कभी इस गाड़ी को लेकर गांव में निकलता है जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है.
पंकज ने बताया कि उसने दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है सबसे पहले अपना सपना उसने अपने माता-पिता को बताया, लेकिन माता-पिता मजदूरी करते हैं और मुश्किल से गुजर बसर कर रहे हैं ऐसे में गाड़ी बनाने के लिए पंकज के पास पैसे नहीं थे लेकिन पंकज जिद करते रहे और पिता ने कर्ज उठाकर पंकज को पैसे दिए यही नहीं मजदूरी में जो पैसे मिलते हैं वह सारे पैसे भी पंकज ने गाड़ी बनाने में लगा दिए. इसके लिए पंकज ने पहले एक गिराज तैयार किया फिर कबाड़ से सामान लगाकर असेंबल्ड किया.
खाने-पीने में भी होने वाले खर्चे में करते हैं कटौती
वही पंकज के पिता कर्मवीर ने बताया कि वह मजदूरी का काम करते हैं. पंकज ने शुरू शुरू में अक्षय कुमार से मिलने के जिद्द की और गाड़ी बनाने का फैसला किया, लेकिन हमने इसलिए मना कर दिया क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं थे फिर पंकज ज्यादा जिद करने लगा तो इधर-उधर से कर्ज लेकर पंकज को पैसे दिए यही नहीं मजदूरी में भी जो पैसे मिलते हैं, वह पंकज को दे दिए जाते हैं और हम खाने-पीने में भी होने वाले खर्चे में कटौती करते हैं ताकि बेटे का सपना पूरा हो सके अब लोग पंकज के इस कदम कि सराहना कर रहे हैं, मुंबई जाने में लगभग 60000 रुपये किराया भी लग जाता हैं, अब उनके पास पैसे नहीं लेकिन फिर भी वह इधर-उधर से पैसे अरेंज कर इस गाड़ी को मुंबई तक पहुंचाएंगे.
गौरतलब है की दसवीं कक्षा तक पढ़े पंकज ने रोल्स-रॉयस कार बनाकर कमाल कर दिया जिसकी हर कोई चर्चा कर रहा है अब देखना यह होगा की पंकज की यह आवाज क्या उसके रियल हीरो अक्षय कुमार तक पहुंच पाती है या नहीं.