उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश में नई सियासी बहस छिड़ गई है. दरअसल, सोमवार (21 जुलाई) को जगदीप धनखड़ ने वाइस प्रेसीडेंट के पद से स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया.
वहीं विपक्ष समेत कई लोगों का मानना है कि जगदीप धनखड़ ने बीमारी की वजह से इस्तीफा नहीं दिया बल्कि इसके पीछे कोई और ही कारण है. इस मामले पर अब हरियाणा के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता रणजीत चौटाला का बयान सामने आया है.
'विश्वास बनाए रखना चाहिए'
रणजीत सिंह चौटाला ने 'हरियाणा तक' से बातचीत के दौरान कहा, "जगदीप धनखड़ को स्थिति क्लियर करनी चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाट कौम पर भरोसा करते हुए इतने बड़े पद पर बैठाया, इसलिए उन्हें विश्वास बनाए रखना चाहिए."
'साफ करें स्थिति'
उन्होंने आगे कहा, "पहले जब सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए तो पीएम मोदी के भरोसे को धक्का सा लगता नजर आया. पहली बार किसी जाट को उपराष्ट्रपति बनाया गया है, इसलिए उन्हें स्थिति साफ करनी चाहिए."
'हम इतने गैर विश्वासी क्यों होते जा रहे'
चौटाला ने ये भी कहा, "जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के जाट परेशान हैं कि इतने बड़े पद के बावजूद हम लोग इतने गैर विश्वासी क्यों होते जा रहे हैं. इसमें मेरी या फिर धनखड़ साहब की बात नहीं है बल्कि पूरी कौम की बात है."
उन्होंने कहा, "मेरे जगदीप धनखड़ साहब से पारिवारिक संबंध हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है. हो सकता है उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो लेकिन फिर भी उन्हें पूरी स्थिति क्लियर करनी चाहिए."
राष्ट्रपति ने स्वीकार किया इस्तीफा
वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार (22 जुलाई) को उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. बता दें कि भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई) को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
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