हरियाणा के इस गांव में दिखी सांप्रदायिक एकता की मिसाल, मुस्लिम बहुल पंचायत ने हिंदू महिला को चुना सरपंच
Haryana News: निशा चौहान ने कहा कि मेरा गांव मुस्लिम बहुल है, लेकिन हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की पुरानी परंपरा अब भी यहां कायम है. सही मायने में मेवात क्षेत्र में कोई धार्मिक भेदभाव नहीं है.

Haryana News: हरियाणा के नूंह जिले के एक गांव में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिली. यहां मुस्लिम बहुल सिरोली गांव ने अपनी एकमात्र हिंदू पंचायत सदस्य को सरपंच चुना है. यहां एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. तीस साल की निशा चौहान दो अप्रैल को सिरोली की सरपंच चुनी गईं.
एक वरिष्ठ पंचायत अधिकारी के अनुसार, पुनाहाना प्रखंड के अंतर्गत सिरोली पंचायत में 15 सदस्य हैं, जिनमें से 14 मुस्लिम हैं और आठ महिलाएं हैं. सिरोली सरपंच का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है. गांव के 3,296 मतदाताओं में केवल 250 हिंदू हैं.
जीत हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक
पंचायत अधिकारी नसीम के अनुसार, पंचायत चुनाव दिसंबर 2022 में हुआ था. हालांकि, विजयी उम्मीदवार सहाना को कुछ महीने बाद बर्खास्त कर दिया गया, क्योंकि उनके शैक्षिक प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए थे. नवनिर्वाचित सरपंच ने कहा कि उनकी जीत हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है.
'मेवात में धार्मित भेदभाव नहीं'
चौहान ने कहा, "मेरा गांव मुस्लिम बहुल है, लेकिन हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की पुरानी परंपरा अब भी यहां कायम है. सही मायने में मेवात क्षेत्र में कोई धार्मिक भेदभाव नहीं है, जिसका जीता जागता उदाहरण मेरा सरपंच के रूप में चुना जाना है. मेरी जीत पूरे क्षेत्र में सांप्रदायिक भाईचारे का संदेश है."
'एक दूसरे के सुख-दुख में होते हैं शामिल'
सिरोली के पूर्व सरपंच और वर्तमान वार्ड सदस्य अशरफ ने कहा कि पंचों ने बेहतर प्रशासन की उम्मीद में चौहान को चुना है. अशरफ ने कहा, "यहां हिंदू और मुसलमान सद्भावना से रहते हैं. हम एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं."
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